MP Contract Employees Transferred : मध्यप्रदेश सरकार ने संविदा पर कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है। अब तक केवल नियमित कर्मचारियों के लिए स्थानांतरण (ट्रांसफर) की प्रक्रिया उपलब्ध थी, लेकिन अब संविदा कर्मचारियों का भी स्थानांतरण किया जा सकेगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने इस संबंध में एक नई नीति लागू की है, जो 30 मई तक प्रभावी रहेगी।
संविदा कर्मियों के लिए दिशा निर्देश जारी
इस नीति के तहत पहली बार संविदा कर्मियों के लिए ट्रांसफर संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। पहले संविदा पर कार्यरत कर्मचारी स्थानांतरण की सुविधा से वंचित थे, जिससे उन्हें व्यक्तिगत और प्रशासनिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब यह सुविधा मिलने से व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी और प्रशासनिक आवश्यकताओं के अनुसार कर्मचारियों की बेहतर तैनाती संभव हो सकेगी।
नई नीति के प्रमुख बिंदु
अनुबंध समाप्त कर नई पदस्थापना: किसी संविदा कर्मचारी को दूसरी जगह पदस्थ करने के लिए पहले उनके वर्तमान पदस्थापना स्थल का अनुबंध समाप्त करना अनिवार्य होगा। इसके पश्चात नए स्थान के लिए नया अनुबंध किया जाएगा।
यात्रा भत्ता और छुट्टियों का लाभ नहीं: स्थान परिवर्तन के दौरान कर्मचारियों को न तो यात्रा भत्ता मिलेगा और न ही स्थानांतरण के लिए अतिरिक्त अवकाश की सुविधा दी जाएगी।
कम से कम पांच वर्ष की सेवा: स्थानांतरण के बाद कर्मचारी को कम से कम पांच वर्षों तक उसी पदस्थ स्थान पर कार्य करना अनिवार्य होगा। इससे बार-बार ट्रांसफर की प्रक्रिया में स्थिरता आएगी।
कार्यमुक्ति की सीमा: ट्रांसफर आदेश जारी होने के 15 दिनों के भीतर संबंधित कर्मचारी को वर्तमान स्थान से कार्यमुक्त किया जाना आवश्यक होगा।
सीमित संख्या में ट्रांसफर: प्रत्येक जिले में कार्यरत संविदा कर्मियों में से अधिकतम 10 प्रतिशत कर्मियों का ही एक वर्ष में स्थानांतरण किया जा सकेगा।
अब तक नहीं थी स्पष्ट नीति
अब तक संविदा कर्मचारियों के ट्रांसफर के लिए कोई निर्धारित नियम नहीं था। इससे न केवल कर्मचारियों को असुविधा होती थी, बल्कि विभागीय कार्यों में भी बाधा आती थी। नई नीति के तहत यह प्रक्रिया अब पूरी तरह स्पष्ट और व्यवस्थित हो जाएगी।