श्रीनगर। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम स्थित बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले ने इस साल की श्री अमरनाथ यात्रा पर गहरा असर डाला है। जहां पहले श्रद्धालुओं में यात्रा को लेकर जबरदस्त उत्साह था, अब डर और असमंजस की स्थिति बनी हुई है। हमले से पहले 2 लाख 35 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया था, लेकिन हमले के बाद प्रशासन द्वारा पुष्टि किए जाने पर केवल 85 हजार लोगों ने ही यात्रा पर आने की पुष्टि की है।
इस बार यात्रा सिर्फ 38 दिन की होगी:
पिछले वर्षों में अमरनाथ यात्रा करीब दो महीने तक चलती थी, लेकिन इस बार यह केवल 38 दिनों की होगी। 3 जुलाई से शुरू होकर 11 अगस्त तक चलने वाली यह यात्रा अपने समय में कटौती के कारण भी कम श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रही है। आतंकी घटना के कारण सिर्फ अमरनाथ यात्रा ही नहीं, बल्कि पूरे कश्मीर के पर्यटन क्षेत्र पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम:
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने यात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जानकारी देते हुए कहा कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने बताया कि इस बार यात्रा मार्ग पर तीन स्तरों की सुरक्षा व्यवस्था (3-layer security) रहेगी। हर यात्री के लिए RFID ट्रैकिंग सिस्टम अनिवार्य किया गया है। पूरे रूट पर हाई क्वालिटी सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। साथ ही मॉक ड्रिल और सुरक्षा बलों की तैनाती को और सुदृढ़ किया गया है।
यात्रियों को सुरक्षा काफिले के साथ चलने की सलाह:
एलजी सिन्हा ने सभी यात्रियों से अनुरोध किया कि वे केवल सुरक्षा काफिले के साथ ही यात्रा करें, चाहे वे निजी वाहन से ही क्यों न जा रहे हों। 1 जुलाई से यात्रा रूट नो-फ्लाई जोन घोषित रहेगा और पूरे मार्ग पर एंटी-ड्रोन सिस्टम सक्रिय रहेगा।
फारूक अब्दुल्ला ने कश्मीरियों से की अपील:
नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कश्मीर के लोगों से अपील की है कि वे इस यात्रा को शांतिपूर्ण और सुरक्षित रूप से संपन्न कराने में सहयोग करें। उन्होंने कहा कि श्री अमरनाथ यात्रा न केवल श्रद्धालुओं के लिए, बल्कि कश्मीर की छवि सुधारने और पर्यटन उद्योग को पुनर्जीवित करने का अवसर है। यह यात्रा हिंदू-मुस्लिम भाईचारे और कश्मीर की सांझी संस्कृति का प्रतीक है, जिसे मजबूत करना हम सबकी जिम्मेदारी है।