भोपाल। दुनियाभर में हेपेटाइटिस रोग तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन देश में चल रहे वैक्सीनेशन कार्यक्रम के चलते वायरल हेपेटाइटिस के मामलों में कमी आई है। इसके उलट खानपान की गड़बड़ी, खराब जीवनशैली से नॉन एक्लोहोनिक और एल्कोहोलिक हेपेटाइटिस के मामलों में 20 से 25 फीसदी मामले बढ़ गए हैं। हमीदिया अस्पताल की हेपेटाइटिस क्लीनिक में हर दिन इस बीमारी के 100 ज्यादा मरीज पहुंचते हंै, जिसमें से 60 फीसदी मामले नॉन एक्लोहोनिक और एल्कोहोलिक हेपेटाइटिस के होते हैं। गांधी मेडिकल कॉलेज के गेस्ट्रोएंटेरोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. विजन राय के मुताबिक कोविड के कारण लोगों का लाइफस्टाइल और ज्यादा खराब हो गया है। इस कारण फैटी लीवर के केसों में 20 फीसदी तक इजाफा देखने को मिल रहा है। इसी समस्या को अगर समय पर डॉक्टर को न दिखाकर और इलाज न करवाया जाए तो यही समस्या लीवर सिरोसिस का रूप ले लेती है। इससे लीवर पूरी तरह से खराब हो जाता है। हालांकि इस स्टेज पर पहुंचने में कुछ साल लगते हैं, लेकिन अगर समय पर लाइफस्टाइल में बदलाव कर स्वस्थ जीवनशैली न अपनाई जाए तो प्रक्रिया तेज भी हो सकती है।
वायरस नहीं मोटापा बन रहा लिवर का दुश्मन
वरिष्ठ उदर रोग विशेषज्ञ डॉ प्रणव रघुवंशी के मुताबिक वायरल हेपेटाइटिस के बारे में लोगों को जागरुकता बढ़ रही है। इससे ए,बी,सी,डी और ई जैसे प्रचलित मामले अब कम हो रहे हैं, लेकिन लाइफस्टाइल बदलाव खासकर मोटापे के कारण फैटी लीवर के केस बढ़ रहे हैं। यही नहीं, हमने मोटापे के शिकार बच्चों में भी फैटी लीवर की समस्या देखने को मिल रही है, लेकिन ज्यादा केस 40 साल से ऊपर के लोगों में आते हैं।
लक्षण
अत्याधिक थकान महसूस होना
हल्का बुखार आना
सर में दर्द होना
खाना खाने की इच्छा न होना
उल्टी आना
पेट में दर्द होना भी इसका एक मुख्य लक्षण है
मल व मूत्र का गहरा रंग
आंखों और त्वचा का पीला होना
जांचे
लिवर बायोप्सी
हेपेटाइटिस बी सरफेस एंटीजन टेस्ट
हेपेटाइटिस बी कोर एंटीजन टेस्ट
हेपेटाइटिस बी सरफेस एंटीबॉडी परीक्षण
खतरा - लीवर सिरोसिस, लीवर कैंसर, लीवर फेलियर समेत अन्य लिवर से जुड़े रोग।