भोपाल। इंटरनेट से आज सभी लोग वाकिफ हैं। किसी भी प्रकार की जानकारी चाहिए हो आप केवल सर्च करते हैं और सारा विवरण आपके सामने आ जाता है। हाल ही में कुछ बाते काफी ज्यादा फैल रही हैं। जिनमें खास है 2025 में इंटरनेट का सर्वनाश! इस मुद्दे ने फिलहाल इंटरनेट पर काफी लोगों को दहशत में डाल दिया है। क्योंकि यदि ऐसा होता है तो काफी लोगों को इससे प्रभाव पड़ेगा। लेकिन ये बाते कितनी सच हैं इस बारे में अब तक नासा या किसी भी स्पेस रिसर्च सेंटर द्वारा कोई जानकारी नहीं दी गई है। हालांकि इस बात को झुटलाया जाना भी संभव नहीं है। कियोंकि चीन में इंचरनेट बंद हुआ था और कारण यही था जो कारण अभी उभर कर सामने आ रहा है। सौर तूफान एक ऐसी प्राकृतिक गतिविधि है जो विकिरणों का तूफान पैदा करती है। ये तूफान धरती से टकराने पर कुछ समय के लिए हर प्रकार के सैटेलाइट कनेक्शन को खत्म करने की ताकत रखता है।
क्यों कहा जा रहा नेट होगा बंद
असल में अगले साल 2025 में सूर्य अपना एक चक्र पूरा करने वाला है, जिसे सोलर चक्र कहा जाता है। हालांकि ये चक्र 25 बार पूरा हो गया है, लेकिन हर साल इस चक्र के पूरा होने तक सूर्य में आने वाले तूफानों और विस्फोटों में बढ़ोतरी आंकी गई है। इस बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए ही अब वैज्ञानिक इस सोलर चक्र में और भी ज्यादा बड़ी घटनाओं का अंदेशा लगा रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि 2025 में एक काफी शक्तिशाली सौर तूफान धरती से टकराएगा। इस तूफान के टकराने से संभावनाएं जताई जा रही हैं कि 6-8 महीनों के लिए इंटरनेट या किसी भी प्रकार के सैटेलाइट कनेक्शन रेडियो कनेक्शन ध्वस्त हो सकते हैं।
सौर तूफान कैसे प्रभाव डालता है इंटरनेट पर
इस बात को जानने से पहले आपको ये जानना होगा कि आखिर ये सौर तूफान है क्या? सूर्य से आप सभी भलिभांति अवगत हैं। ये एक तारा है या एक आग का गोला है, और इसमें हाइड्रोजन क्रिया से आग, ताप, रोशनी बनी रहती है। काफी बड़ी मात्रा में आग के होने से इसमें लगातार कई विस्फोट भी होते हैं जो किसी नाभिकीय क्रिया से भी ज्यादा ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। इन विस्फोटों से ही एक तरंग का तूफान आता है। जिसे आप अपनी आंखों से नहीं देख सकते। इस अदृश्य तूफान का खास अवयव विकिरण होने से ही ये पृथ्वी पर इंटरनेट को बंद करने की ताकत रखते हैं। ये तूफान विस्फोट से उत्पन्न होकर तेजी से पृथ्वी की ओर आते हैं। इनकी रफ्तार करीब 3000 किलोमीटर प्रति घंटा तक जाती है। तेज़ी से आए इस तूफान को आप अरोरा के रूप में देख सकते हैं। इसे नॉर्थर्न लाइट्स भी कहा जाता है।
इस दिन हुआ अब तक का सबसे बड़ा असर
एक से दो सितंबर 1859 में दुनिया को इसका खास असपर देखने को मिला था। इस समय एक बड़ा ही जोरदार सौर तूफान आया था। इसके कारण पूरी धरती पर कई जगह अरोरा देखे गए थे। जो इसी तूफान की देन थे। साथ ही इस समय कई टेलीग्राफ स्टेशनों में स्पार्किंग यहां तक कि आग भी लग चुकी थी। इस अनदेखे तूफान की चपेट में आने से लोगों को ऐसा भी लगने लगा था कि ये धरती का अंत है इस कारण कई जगहों पर आग लग रही है। साथ ही ऐसी भयावह गतिविधियां भी हो रही हैं। इस दौर को इतिहास में ‘कैरिंगटन घटना’ के रूप में दर्ज भी किया गया है।
इनके कारण कैसे बंद होता है इंटरनेट
इन तूफानों की उत्पत्ति ही विकिरण हैं। धरती पर इंटरनेट जो सैटेलाइट से चलता है उनमें भी मुख्य तौर से विकिरणों का ही उपयोग होता है। जिससे सिग्नल जाते हैं और आते हैं। जब ये विकिरणों के सौर तूफान धरती से टकराते हैं तो ये इन्हीं विकिरणों को प्रभावित करते हैं। इस प्रभाव से इंटरनेट बंद हो जाता है। साथ ही किसी भी प्रकार का रेडियो फ्रिक्वेंसी काम नहीं करती है। सभी उस समय के लिए ठप हो जाता है जितनी देर ये विकिरण किसी इलेक्ट्रॉनिक यंत्र के करीब रहे। संभावना ये भी जताई जाती है कि इन विकिरणों से विद्युत में भी परिवर्तन देखने को मिलता है। इनके कारण ट्रांसफॉर्मर भी ध्वस्त होने की संभावना जताई जाती है। कथित तौर पर बताया जाता है कि 2011 में चीन में एक ऐसा ही सौर तूफान का असर देखने को मिला था, जिससे चीन के दक्षिण क्षेत्र में रेडियो संचार बाधित हुआ था।