परिनिंदा सजा: परिनिंदा की सजा, क्या आपको मालूम है कि परिनिंदा की सजा क्या होती है? परिनिंदा का शब्द उस समय सुर्खियों में बना जब एक जिले के कप्तान सहाब ने पुलिस थाने में कुत्ते देख 5 पुलिसकर्मियों को को परिनिंदा की सजा सुना दी। कप्तान ने एक कार्यकारी एसआई समेत 5 लोगों के खिलाफ परिनिंदा का आदेश भी जारी कर दिया। हालांकि बाद में एसपी साहब को आदेश वापस लेना पड़ा। मामला प्रदेश के अशोकनगर जिले का है।
जानकारी के अनुसार अशोकनगर पुलिस अधिक्षक ने 15 मई को एक आदेश जारी किया था। जारी आदेश में पुलिस थाने के एक कार्यकारी एसआई और चार पुलिसकर्मियों की सर्विस बुक में परिनिंदा का दंड दर्ज करने का हुक्म दिया गया था। एसपी साहब ने यह कार्रवाई अशोक नगर महिला पुलिस थाना परिसार में कुतिया और कुत्ते के बच्चे देखे जाने को लेकर की थी। पुलिस थाने में कुत्तों को देख एसपी नाराज हो गए थे।
मामले में जब 'पीपुल फॉर एनिमल्स' संगठन की इंदौर यूनिट की अध्यक्ष प्रियांशु जैन का कहना है कि कुत्ते बिल्लियां और बेसहारा जानवरों को उनके स्थान से हटाना या उनकी जगह को बदलना कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन माना जाता है। एसपी और पुलिस थाने से हमे पता चला है कि एसपी साहब ने संबंधित आदेश को निरस्त कर दिया है। हम जांच कर रहे है कि महिला थाने से कुतिया और उसके बच्चों को हटाया गया की नही।
क्या होती है परिनिंदा?
एसपी साहब द्वारा जारी किया गया पुलिसकर्मियों के फरमान को निरस्त कर दिया गया, लेकिन परिनिंदा की सजा क्या होती है? यह जानना जरूरी है। दरअसल, परिनिंदा एक तरह से अनुशासनात्मक कार्रवाई होती है, जिसे पुलिस सर्विस बुक में दर्ज किया जाता है। परिनिंदा के अंतर्गत किसी पुलिस अधिकारी पर कदाचार और अनुशासनहीनता के आरोप लगाए जाते है। परिनिंदा यानि पुलिस अधिकारी को उसकी गलती पर सार्वजनिक रूप से डाटना और उसे सुधार का मौका देना होता है।
परिनिंदा सजा के चलते पुलिस अधिकारियों पर कई तरह का असर पड़ता है। जैसे कि उसके प्रमोशन में देरी होना, वेतन वृद्धि में रूकावट, खराब सर्विस रिकॉर्ड और उसकी जिम्मेदारियेां में कमी आना जैसा असर पड़ता है। आपको बता दें कि परिनिंदा का शुद्ध अर्थ सुधारात्मक होता है, ताकि भविष्य में पुलिस अधिकारी या कर्मचारी अपनी जिम्मेदारियों का सही से निर्वाहन करे।