भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मप्र का शहडोल जिला अपनी खनिज संपदा, ऊर्जा क्षमताओं, धार्मिक महत्व, प्राकृतिक सौंदर्य और पुरातात्विक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है। यहां 16 जनवरी को होने वाला रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव न केवल निवेश और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देगा, बल्कि क्षेत्र की समग्र प्रगति के लिए ऐतिहासिक कदम साबित होगा। साथ ही शहडोल के विकास को नई दिशा मिलेगी।
ऊर्जा आधारित उद्योगों के विकास के लिए आदर्श है शहडोल: सीएम
मुख्यमंत्री ने कहा कि शहडोल, अपने प्रचुर खनिज संसाधनों के लिए देश भर में जाना जाता है। यहां स्थित सोहागपुर कोलफील्ड, भारत के सबसे पुराने और समृद्ध कोयला खदान क्षेत्रों में से एक है। यह क्षेत्र ऊर्जा आधारित उद्योगों के विकास के लिए आदर्श है। ऊर्जा हब सिंगरौली और फूलपुर गैस पाइपलाइन का विस्तार, शहडोल को ऊर्जा आधारित उद्योगों के केंद्र के रूप में स्थापित कर रहा है।
अमलाई औद्योगिक क्षेत्र कागज उद्योग और खनिज प्रसंस्करण का प्रमुख केंद्र
अमलाई औद्योगिक क्षेत्र भी इस क्षेत्र का एक प्रमुख केंद्र है, जो कागज उद्योग और खनिज प्रसंस्करण के लिए प्रसिद्ध है। यहां स्थित उद्योग न केवल रोजगार प्रदान कर रहे हैं, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती दे रहे हैं। अमलाई के अलावा, पास के अनूपपुर और उमरिया में भी औद्योगिक निवेश की अपार संभावनाएं हैं। शहडोल को ऊर्जा क्षेत्र में और अधिक सशक्त बनाने के लिए सरकार ने कई परियोजनाओं की शुरुआत की है। विशेष रूप से गैस आधारित उद्योगों और हरित ऊर्जा परियोजनाओं के लिए निवेशकों को आकर्षित करने की योजना बनाई जा रही है।
शहडोल के आसपास आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक समृद्धि के महत्वपूर्ण स्थल
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि शहडोल के आसपास स्थित धार्मिक स्थल इसे अध्यात्म और पर्यटन का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनाते हैं। अमरकंटक, जो नर्मदा, सोन और जोहिला नदियों का उद्गम स्थल है, अपने आध्यात्मिक महत्व के कारण श्रद्धालुओं का प्रमुख आकर्षण है। इसके अलावा, यहां स्थित प्राचीन मंदिर और आश्रम भी धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देते हैं। धार्मिक स्थलों के साथ यहां का शांत और आध्यात्मिक वातावरण निवेशकों को पर्यटन क्षेत्र में निवेश के लिए प्रेरित करता है। राज्य सरकार इन स्थलों को और अधिक विकसित करने की दिशा में काम कर रही है, जिससे पर्यटन और स्थानीय उद्योग, दोनों को बढ़ावा मिलेगा।
महिष्मति, कर्णगढ़ के लिए विशेष योजनाएं बनाई
शहडोल की ऐतिहासिक और पुरातात्विक धरोहरें इसे और भी खास बनाती हैं। जिले के आसपास के क्षेत्रों में पाए गए प्राचीन अवशेष और मंदिर, यहां की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को उजागर करते हैं। महिष्मति और कर्णगढ़ जैसे स्थल पुरातात्विक महत्व के केंद्र हैं। इन धरोहरों को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने और संरक्षित करने के लिए राज्य सरकार ने विशेष योजनाएं बनाई हैं। पुरातात्विक पर्यटन को बढ़ावा देने से न केवल निवेशकों के लिए नए अवसर पैदा होंगे, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए साधन भी खुलेंगे।
इको-टूरिज्म और जैव विविधता का केंद्र बांधवगढ़
शहडोल के पास स्थित बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान, जो विश्व प्रसिद्ध है, समृद्ध जैव विविधता के लिए जाना जाता है। यह क्षेत्र न केवल इको-टूरिज्म को बढ़ावा देता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और रोजगार सृजन के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शहडोल के जंगल, पहाड़ियां और नदियां इसे एक आदर्श इको-टूरिज्म स्थल बनाती हैं। इन पर्यटन स्थलों को संरक्षित और विकसित करने के लिए सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं।
आरआईसी दिलाएगा वैश्विक पहचान
शहडोल का हर क्षेत्र-चाहे वह खनिज हो, ऊर्जा हो, या सांस्कृतिक धरोहर, अपार संभावनाओं से भरा हुआ है। आरआईसी के माध्यम से इन संसाधनों का प्रभावी उपयोग कर, इस क्षेत्र को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय निवेश का केंद्र बनाएंगे। आरआईसी से निवेशकों को खनिज आधारित उद्योग, ग्रीन एनर्जी, कृषि प्रसंस्करण, और पर्यटन के क्षेत्र में निवेश के अवसर मिलेंगे। शहडोल अपनी अपार खनिज संपदा, ऊर्जा क्षमता, सांस्कृतिक धरोहर और प्राकृतिक सौंदर्य के साथ एक आदर्श निवेश स्थल बनकर उभर रहा है। आरआईसी न केवल इस क्षेत्र को औद्योगिक विकास का नया केंद्र बनाएगा, बल्कि यहां के पर्यटन और सांस्कृतिक महत्व को भी वैश्विक पहचान दिलाएगा।