पाकिस्तान में पहली बार किसी यूनिवर्सिटी ने संस्कृत को औपचारिक रूप से अपनी पढ़ाई का हिस्सा बनाया है। लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज (LUMS) ने संस्कृत भाषा का पूर्ण कोर्स शुरू कर दिया है, जहां कक्षाओं में अब महाभारत और भगवद गीता के श्लोक गूंज रहे हैं। छात्रों को लोकप्रिय धारावाहिक महाभारत के टाइटल सॉन्ग ‘है कथा संग्राम की’ का उर्दू रूपांतरण भी सिखाया जा रहा है।
पाकिस्तान में संस्कृत की शुरुआत:
फ़ॉर्मन क्रिश्चियन कॉलेज (FC College) के एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ. शाहिद रशीद, जिन्होंने स्वयं वर्षों तक अकेले संस्कृत का अध्ययन किया, इस पहल के मुख्य स्तंभ हैं। वे मानते हैं कि संस्कृत सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि उपमहाद्वीप की साझा सांस्कृतिक धरोहर है।
प्रो. शाहिद रशीद का बयान:
"हमें संस्कृत क्यों नहीं पढ़नी चाहिए? यह पूरे इलाके को जोड़ने वाली भाषा है। पाणिनि का गांव इसी क्षेत्र में था। सिंधु घाटी सभ्यता के समय यहां बहुत कुछ लिखा गया था। संस्कृत एक सांस्कृतिक स्मारक है यह हमारी भी विरासत है, सिर्फ एक धर्म तक सीमित नहीं।”
पंजाब यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी में दुनिया का अनोखा संस्कृत संग्रह:
गुरमानी सेंटर के डायरेक्टर डॉ. अली उस्मान कासमी ने बताया कि पाकिस्तान की पंजाब यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी में सबसे समृद्ध संस्कृत पांडुलिपियों का संग्रह है, लेकिन 1947 के बाद किसी भी पाकिस्तानी विद्वान ने उन पर कोई रिसर्च नहीं की। अब LUMS इन पांडुलिपियों पर काम करने के लिए लोकल स्कॉलरों को तैयार करेगा।
वीकेंड क्लास से शुरू हुआ सफर:
कासमी बताते हैं कि शुरू में यह सिर्फ एक वीकेंड ओपन प्रोग्राम था, जो छात्रों, वकीलों, रिसर्चर्स और आम लोगों के लिए खुला था। लेकिन जब प्रतिक्रिया उम्मीद से कहीं अधिक मिली, तो इसे एक पूर्ण यूनिवर्सिटी कोर्स में बदल दिया गया। कासमी “2027 तक संस्कृत को एक साल के कोर्स के तौर पर पढ़ाने का लक्ष्य है। आने वाले वर्षों में पाकिस्तान के अपने संस्कृत स्कॉलर होंगे।”
LUMS में शुरू होंगे महाभारत और गीता पर अलग कोर्स:
यूनिवर्सिटी अब महाभारत और भगवद गीता पर विशेष कोर्स शुरू करने की तैयारी कर रही है। लक्ष्य है कि अगले 10–15 वर्षों में पाकिस्तान में गीता और महाभारत के विशेषज्ञ विद्वान तैयार किए जाएं।
संस्कृत और उर्दू भाषाई रिश्ता जानकर चौंक रहे छात्र:
प्रो. रशीद बताते हैं कि छात्र तब हैरान रह जाते हैं जब उन्हें पता चलता है कि उर्दू के सैकड़ों शब्द संस्कृत से जुड़े हैं। पहले उन्हें भाषा कठिन लगी, लेकिन जैसे ही उन्होंने संस्कृत के तर्कसंगत और विज्ञाननिष्ठ व्याकरण को समझा, उनकी रुचि बढ़ती गई।
LUMS की बहुभाषी पहल से जुड़ाव:
संस्कृत को जोड़कर LUMS अब दक्षिण एशियाई भाषाओं का एक व्यापक इकोसिस्टम विकसित कर रहा है, जिसमें सिंधी, पंजाबी, बलूची, पश्तो, अरबी और फ़ारसी भी शामिल हैं। कासमी के मुताबिक “यह परंपरा भारत–पाकिस्तान की साझा ग्लोबल हेरिटेज है। साहित्य, कला, काव्य और दर्शन सभी वैदिक युग से जुड़े हैं। इसी विरासत से फिर से जुड़ने का समय आ गया है।”पाकिस्तान में संस्कृत की शुरुआत न सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम है, बल्कि यह उपमहाद्वीप की साझा सांस्कृतिक जड़ों को पहचानने की नई पहल भी है। आने वाले वर्षों में यह प्रयास दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंधों को नई दिशा दे सकता है।