औबेदुल्लागंज। के सरकारी अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं दम तोड़ रही है। स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। रविवार को एक गंभीर घटना सामने आई, जब एक चार वर्षीय बच्ची को तेज बुखार और उल्टी की शिकायत की स्थिति में उसके पिता अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन वहां कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। अस्पताल में मौजूद नर्स ने बताया कि बच्चों के इलाज के लिए कोई डॉक्टर नहीं है। बच्ची की पिता को सलाह दी गई कि मासूम को निजी अस्पताल लेकर जाएं। इसके बाद पिता को मजबूर होकर प्राइवेट अस्पताल में बच्ची का इलाज कराना पड़ा। मामले की शिकायत मासूम के पिता ने कलेक्टर और सीएम हेल्पलाइन पर भी की है।
बीमार बच्ची के पिता गजानंद यादव ने बताया कि उनकी बेटी परिधि को बुखार था। इसके अलावा उल्टी भी हो रही थी। वह बेटी को लेकर इलाज के लिए औबेदुल्लागंज के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे। लेकिन उन्हें अस्पताल में डॉक्टर नहीं मिले। अस्पताल में घूमकर देखा, लेकिन वहां सिर्फ दो गार्ड मौजूद थे, जो कुर्सियों पर सो रहे थे। गजानंद यादव ने तुरंत जिला कलेक्टर को फोन पर सूचना दी। कलेक्टर ने बच्ची की तबीयत के बारे में पूछताछ की और उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। बच्ची को अंततः प्राइवेट अस्पताल में दिखाया गया।
हेडक्वार्टर पर नहीं रहतीं बीएमओ, ड्यूटी से कई डॉक्टर गायब
सूत्राें के अनुसार, सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों के बीच विवाद चल रहा है, जिसकी वजह से मरीजों का इलाज प्रभावित हो रहा है। आरोप है कि अस्पताल की प्रभारी (बीएमओ) डॉ. अमृता जीवने हेडक्वार्टर पर मौजूद नहीं रहतीं, जिसके कारण कई डॉक्टर भी अपनी ड्यूटी में लापरवाही बरत रहे हैं। हालांकि इस संबंध में बीएमओ डॉ. अमृता जीवने का पक्ष जानने के लिए उन्हें कई बार फोन किए गए, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।
कैसे मिलेगा डेंगू, मलेरिया, बुखार के मरीजों को उपचार
अस्पताल में डेंगू, मलेरिया और खांसी-जुकाम जैसी बीमारियों के बढ़ते मामलों के बावजूद डॉक्टरों की अनुपस्थिति के आरोपों ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। इस घटना के बाद गजानंद यादव ने सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत दर्ज कराई है।