भोपाल। मप्र के पालपूर कूनो राष्ट्रीय उद्यान में बसे चीतों को अब जल्द खुले जंगल में छोड़ा जाएगा। ये चीते खुले जंगल में दूर-दूर तक चले जाते हैं और इनके कहीं आने-जाने की कोई सीमा नहीं है। इस लिहाज से एक कॉरिडोर तैयार किया जा रहा है। अक्सर इन चीतों के समीपस्थ दो अन्य राज्यों राजस्थान एवं उप्र के जंगलों में भी जाने की संभावना रहती है। कई बार ऐसा हो भी चुका है जब मप्र के वन्यप्राणी अन्य प्रदेशों की सीमा को क्रॉस कर गए, जिससे वन अमले को कई दिक्कतों से जूझना पड़ा, इसलिए चीतों के लिए कूनो से लेकर राजस्थान, यूपी तक चीता कॉरिडोर बनाया जा रहा है। यह इसलिए भी क्योंकि यूपी और राजस्थान कूनो से सटे हुए हैं।
चीते खुले में विचरण कर सकें, इसके लिए तीनों राज्यों से क्षेत्र मिलाकर 27 वन प्रभागों को कॉरिडोर में सम्मिलित किया जा रहा है। इसके अलावा केंद्र सरकार के निर्देश पर मप्र सरकार एक संयुक्त अंतरराज्यीय समिति गठित करने जा रही है। इस समिति में तीनों राज्यों के उच्च अधिकारी शामिल रहेंगे।
दरअसल, अन्य राज्य की सीमा में चीते के जाने पर उसके उचित प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार ही निर्देश दे सकती है, इसलिए यह संयुक्त समिति बनाई जा रही है। समिति बनने के बाद चीतों के प्रबंधन के लिए एसओपी बनाई जाएगी, ताकि उनकी सुरक्षा किसी प्रकार की गलती न हो, साथ ही उनसे अन्य व्यक्तियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचे इसका भी ध्यान रखा जाएगा। कूनों में वर्तमान में शावकों को मिलाकर देखा जाए तो डेढ़ दर्जन से अधिक चीते हैं।
हाथियों को ट्रैक करने में नहीं होगी समस्या
चीतों की राजस्थान ओर यूपी की सीमा तक जाने की संभावना है, इसलिए कॉरिडोर बन जाने पर वन विभाग को इनको ट्रैक करने में कोई समस्या नहीं आएगी। सबसे बड़ी बात तो यह है कि इनको ट्रेंकुलाइज कर वापस लाने जैसी झंझट से छुटकारा मिलेगा। यदि चीता कॉरिडोर के माध्यम से दूसरे राज्य की सीमा में प्रवेश कर गया है तो वो जब तक चाहे वहां स्वतंत्र रूप से विचरण कर सकता है। इसमें कहीं से कोई बाधा नहीं आएगी। वहीं संबंधित राज्य का वन विभाग उसकी देख रेख करेगा।
मप्र के वन अधिकारी चीताें के मामलों में अनुभवी
देश भर के अन्य राज्यों में देखा जाए तो मध्यप्रदेश के वन विभाग के अधिकारी चीतों के मामले में अनुभवी है। यह इसलिए क्योंकि सबसे पहले विदेशों से चीता प्रदेश के पालपुर कूनो में लाया गया, इसलिए यदि अन्य राज्यों में जाकर चीता बीमार होता है या कोई अन्य घटना दुर्घटना होती है तो चिकित्सीय परीक्षण के लिए मप्र की टीम को ही भेजा जाएगा।