भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मप्र में गरीब से गरीब बहन के घर तक नारी सशक्तिकरण के जरिए शासन की सभी योजनाओं का लाभ पहुंचाना राज्य शासन की भावना और प्रतिबद्धता है। भारतीय संस्कृति में बहनें सम्माननीय हैं। माता-पिता के समान प्रेम और स्नेह के साथ संस्कारों को बनाए रखते हुए दायित्व निर्वहन की क्षमता उनमें है। कैबिनेट ने बहनों के सम्मान और स्नेह के प्रतीक, रक्षाबंधन पर्व को पूरे उल्लास के साथ मनाने का निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव शुक्रवार को सीएम हाउस में आयोजित रानी दुर्गावती महिला सरपंच सम्मेलन और रक्षाबंधन कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि समूचे प्रदेश में 25 हजार स्थानों पर 10 अगस्त को कार्यक्रम होंगे। सिंगल क्लिक से लाड़ली बहनों के खातों में 1250 रुपए तथा रक्षाबंधन के शगुन 250 रुपए अलग से जारी किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से कोई योजना बंद नहीं की जाएगी, अपितु संकल्प पत्र में जो कहा गया है, वे सभी योजनाएं व कार्यक्रम लागू होंगे। मुख्यमंत्री को प्रदेश के विभिन्न जिलों से आई बहनों ने 40 फीट लंबी राखी भेंट की। बहनों ने मुख्यमंत्री भैया को अलग से भी राखियां बांधी, जिस पर मुख्यमंत्री ने बहनों को शगुन स्वरूप भेंट भी प्रदान की।
महिला सरपंचों ने मंगल गीतों के साथ पुष्प-वर्षा की
यादव के कार्यक्रम स्थल पहुंचने पर महिला सरपंचों ने मंगल गीतों के साथ पुष्प-वर्षा कर उनका स्वागत किया। प्रधानमंत्री मोदी ने बहनों के जीवन को आसान और खुशहाल बनाने के लिए कई योजनाएं व कार्यक्रम लागू किए हैं। इसी क्रम में घर-घर रसोई गैस की सुविधा देने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री उज्ज्वला गैस कनेक्शन प्रदान किए गए। राज्य सरकार ने लाड़ली बहनों और जिनके पास उज्ज्वला कनेक्शन हैं, उन्हें 450 रुपए में गैस सिलेण्डर उपलब्ध कराने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने नागपंचमी की शुभकामनाएं देते हुए बहनों से सावन महीने में धूमधाम से मनाने का आह्वान किया।
व्यर्थ के खर्चों को कम कर संसाधनों को बच्चों की पढ़ाई में लगाएं
मुख्यमंत्री ने कहा कि रक्षाबंधन के पवित्र अवसर पर सभी बहनें व्यर्थ के खर्चों को कम करने का संकल्प लें। तेरहवीं और मृत्य भोज पर अनावश्यक व्यय से बचा जाए, विवाह भी सादगीपूर्ण तरीके से किया जाएं। इन गतिविधियों में कर्ज लेकर या अचल संपत्ति बेचकर भी पैसा लगाया जाता है, ऐसी स्थिति से बचने के लिए लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। इसी तरह गतिविधियों को हतोत्साहित कर तथा सामूहिक विवाह कार्यक्रमों में परिवार के युवाओं का विवाह कर जमा पूंजी बचाई जा सकती है। संसाधनों का उपयोग बच्चों की पढ़ाई-लिखाई तथा बेहतरी के लिए किया जाए।
महिला सरपंचों ने किए अपने अनुभव साझा
उज्जैन की ग्राम पंचायत चिंतामण जवासिया की सरपंच कुमारी लक्षिका डागर, सतना की श्रीमती कमला देवी चौधरी, बैतूल की श्रीमती पुष्पलता झरवडे और सीधी की श्रीमती प्रियंका पनिका ने उनकी पंचायतों में जारी ग्रामीण विकास और जनकल्याण कार्यक्रमों के क्रियान्वयन संबंधी अनुभव साझा किए। कु. डागर प्रदेश की सबसे कम आयु की सरपंच हैं और उन्होंने अपनी पंचायत में स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में विशेष कार्य किया है। श्रीमती चौधरी ने स्व-सहायता समूह, श्रीमती झरवड़े ने डिजिटल लेन-देन और यौन शोषण के प्रति जागरूकता तथा श्रीमती पनिका ने वृद्धावस्था पेंशन व छात्रवृत्ति वितरण के नवाचारों की जानकारी दी।