रायपुर। देश में नक्सलवाद के खिलाफ चल रहे अब तक के सबसे बड़े संयुक्त सैन्य अभियान के बीच इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के निदेशक तपन डेका का छत्तीसगढ़ दौरा बेहद अहम माना जा रहा है। यह दौरा ऐसे समय हुआ है जब देशभर में आतंकी हमलों को लेकर खुफिया एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं और बीजापुर के घने जंगलों में माओवादियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई जारी है। इस ऑपरेशन को लेकर राज्य और केंद्र की सरकार अलर्ट है. इस बीच खुफिया चीफ का छत्तीसगढ़ दौरा होना बेहद अहम माना जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक आईबी प्रमुख गुप्त रूप से एक हाईलेवल मीटिंग आलाधिकारियों की लेने वाले हैं. हालांकि इसकी कोई आधिकारिक जानकारी अभी नहीं आई है.
बीजापुर के जंगलों में 20,000 से अधिक सुरक्षाकर्मी तैनात:
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के कुर्रेगुटा पहाड़ी क्षेत्र में पिछले आठ दिनों से माओवादी गढ़ों को ध्वस्त करने के लिए अभूतपूर्व सैन्य ऑपरेशन चलाया जा रहा है।1500 नक्सलियों को जवानों ने घेर रखा है. इस ऑपरेशन में छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र की सुरक्षा एजेंसियां संयुक्त रूप से हिस्सा ले रही हैं। करीब 20,000 जवान, जिनमें राज्य पुलिस, अर्धसैनिक बल, और विशेष कमांडो यूनिट्स शामिल हैं, जंगल में मोर्चा संभाले हुए हैं।
सूत्रों की मानें तो इस ऑपरेशन का मुख्य उद्देश्य शीर्ष माओवादी नेतृत्व को नेस्तनाबूद करना और उनके वर्षों पुराने ठिकानों को खत्म करना है। अभियान के दौरान पूरे इलाके को सील कर दिया गया है और किसी भी नक्सली प्रतिक्रिया की आशंका को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त बलों को तैनात रखा गया है।
IB चीफ का दौरा – ऑपरेशन की गहराई से निगरानी:
आईबी निदेशक तपन डेका का यह दौरा न केवल ऑपरेशन की समीक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह केंद्र की ओर से इस अभियान को मिल रहे रणनीतिक समर्थन का भी संकेत है। उनके साथ खुफिया एजेंसी और राज्य पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे, जिन्होंने सुरक्षा स्थिति पर गहन मंथन किया।
डेका ने क्षेत्रीय अफसरों से मुलाकात कर जमीनी हालात, चुनौतियों और ऑपरेशन की प्रगति की विस्तृत जानकारी ली। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि उनका यह दौरा ना केवल वर्तमान अभियान के लिए निर्णायक साबित हो सकता है, बल्कि आने वाले समय में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति को भी दिशा दे सकता है।
केंद्र और राज्य सरकार अलर्ट मोड में:
इस बड़े अभियान के मद्देनज़र केंद्र और राज्य सरकारें पूरी तरह अलर्ट मोड पर हैं। लगातार उच्चस्तरीय समीक्षा बैठकें हो रही हैं और हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। विशेषज्ञ इसे माओवाद के खिलाफ एक निर्णायक मोड़ मान रहे हैं।