भोपाल। एक तरफ नशे व ड्रग्स को लेकर पूरे प्रदेश में आरोप-प्रत्यारोप, छापे व अन्य चर्चाओं का बाजार गर्म है। वहीं, दूसरी ओर राजधानी में पुलिस की नाक के नीचे फुटपाथ पर एक दर्जन सजी नशे की दुकानों पर मुंह मांगा नशा उपलब्ध है। बोरी में सूखा और थर्मोकोल के पुराने गंदे छोटे से डिब्बे में बर्फ के टुकड़े और लिक्विड नशा उपलब्ध है। बागसेवनिया थाने के अंतर्गत सावरकर सेतु के नीचे एम्स से आने वाली सड़क पर एंप्री संस्था के मोड़ पर पुलिस का चेकिंग पॉइंट है। इसी स्थान पर फुटपाथ पर पन्नी के छोटे-छोटे टुकड़े बिछाए या टेबल पर नशे का सामान रखा दिख जाएगा। पास ही रखी छोटी सी बोरी व डिस्पोजल ग्लास रखे हुए हैं। बोरी में सूखा नशा और थर्मोकोल के डिब्बे में लिक्विड और बर्फ के टुकड़े रखे हुए हैं। वहां, पर डिस्पोजल ग्लास और पानी की व्यवस्था होने के साथ ही कई बाउंसर घूम रहे हैं।
दूर से ऐसा लगा जैसे रोजमर्रा की सामग्री बेचने बैठे हों
नशे की दुकानों पर फुटपाथ की जमीन पर पन्नी इस तरह से बिछाकर सामान रखा था, जैसे मार्केट में छोटे व्यापारी बेर या पूजन सामग्री लेकर बैठे हों। ‘हरिभूमि’ ने जब पास जाकर देखा तो नशे का पूरा इंतजाम था और 5 रुपए से लेकर 50 रुपए तक का सामान उपलब्ध है। ‘हरिभूमि’ ने जब सामान के बारे में जानकारी लेनी चाहिए तो उन्होंने सामान का नाम पूछा और हिदायत दी कि ज्यादा होशियार नहीं बनो। इशारे में बोला गया कि यहां बहस नहीं कर सकते और बाउंसर की तरफ इशारा किया। फोटो जर्नलिस्ट का कैमरा भी तोड़ने की कोिशश की।
पुिलस से इसलिए बात नहीं कि ये सबूत देखा जा सके
हरिभूिम ने पुिलस के किसी बड़े अधिकारी या बाग सेवनिया थाने के किसी अधिकारी से इसलिए बात नहीं कि तािक, यह नजारा गुरुवार को भी सबूत के तौर पर देखा जा सके। हालांिक, खबर छपने की खबर लगते ही नशे के ये छोटे कारोबारी तात्कािलक रूप से अपनी इन दुकानों को समेट सकते हैं। पर, संभवत: इनको रोकने वाला कोई नहीं है। साफ है बाग सेवनिया पुिलस जहां वाहनों को चेक कर रही हो, वहीं यह नशा बिक रहा हो, तो सवाल उठना लािजमी है।