भोपाल। नगर निगम में नेशनल लोक अदालत की तर्ज पर संपत्तिकर, जलकर एवं अन्य करों पर अधिभार में छूट का लाभ देने हर शनिवार को शिविर का आयोजन शुरू किया गया है। गत दिवस करदाताओं ने इसका लाभ भी उठाया। इस दौरान 7 हजार से अधिक प्रकरण निराकृत, करदाताओं ने 13 करोड़ 13 लाख से अधिक की राशि जमा कराई। मप्र शासन, नगरीय विकास एवं आवास विभाग के द्वारा संपत्तिकर, जलकर एवं उपभोक्ता प्रभार के मदों में अधिभार में दी जा रही छूट के तहत यह शिविर लगाए जा रहे हैं। नगर निगम के वार्ड एवं जोन कार्यालय तथा आयोजित शिविरों में संपत्तिकर एवं जल उपभोक्ता प्रभार सहित अन्य प्रकरणों में अधिभार में दी जा रही छूट का लाभ लेकर निराकृत कराया।
कोई भी करदाता नहीं जाता वापस
आगे भी उम्मीद है कि हर शनिवार को उपभोक्ता इसका लाभ उठाएंगे। निगम आयुक्त हरेन्द्र नारायण के आदेशों के परिपालन में निगम अमले द्वारा नेशनल लोक अदालत की तर्ज पर आयोजित शिविरों के लिए बेहतर कार्य योजना बनाकर कार्य किया जा रहा है। गत दिवस किसी भी करदाता को करों की राशि जमा किये बगैर वापस नहीं जाना पड़ा। निगम के वरिष्ठ अधिकारियों ने वार्ड कार्यालयों शिविरों का सतत रूप से निरीक्षण किया और राजस्व अमले को आवश्यक दिशा .निर्देश दिए। इन शिविरों के तहत ही अब हर शनिवार को निगम के सभी वार्ड, जोन कार्यालयों एवं आयोजित शिविरों में प्रातः काल से ही करदाताओं के आने का सिलसिला शुरू हो जाता है।
करदाताओं का आरोप भी
राजधानी में नियमित कर जमा करने वाले उपभोक्ताओं का आरोप है कि नगर निगम भोपाल राजस्व वसूली के लिए लोक अदालत से लेकर संपत्ति कुर्की तक की कार्रवाई की जा रही है, लेकिन यह कार्रवाई छोटे बकायादारों तक ही सीमित है। शहर की आम जनता से संपत्तिकर व जलकर समेत अन्य शुल्क मिला लें तो हर शिविर में करीब 12 से 15 करोड़ रुपए की वसूली की जाती है। जबकि निजी कंपनियों और सरकारी विभागों पर 200 करोड़ रुपये से अधिक बकाया है। बीते वित्तीय वर्ष में पांच लोगों पर करीब 8 लाख रुपये का संपत्तिकर बकाया होने पर उनकी संपत्ति कुर्क कर दी गई थी। वहीं इस बार भी करीब दस लाख रुपए की वसूली करने के लिए 4 लोगों की संपत्ति कुर्क की जानी है।
200 निजी संस्थाओं के करोड़ों रुपए बाकी
अधिकारियों के अनुसार राजधानी में सरकारी विभागों के अलावा करीब 200 निजी संस्थाएं भी शामिल हैं। जिन पर नगर निगम के करोड़ों रुपए बकाया हैं। जानकारी के मुताबिक निगम का करीब 90 करोड़ राजस्व तो सिर्फ इसलिए वसूला नहीं जा रहा, क्योकि इन मामलों में कोर्ट से लोगों को स्टे मिला हुआ है। निगम के विधि विभाग की टीम कोर्ट में स्टे हटवाने में सफल नहीं हो पा रही है। जिससे निगम को आर्थिक नुकसान तो हो ही रहा है, बल्कि अपने दैनिक खर्चे चलाने के लिए बैंकों से भी कर्ज लेना पड़ रहा है। आम जनता पर दो.तीन लाख रुपए बकाया होने पर भी कुर्की की तैयारी की जा रही है। इनमें चूनाभट्टी इलाके में दो संस्थान हैं। आयुक्त हरेंद्र नारायण के अनुसार वसूली अभी तेजी से शुरू कर दिया गया है।