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नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मना रहा देश, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने किया याद

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मना रहा देश, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने किया याद

देश आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मना रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नेताजी के पराक्रम को याद करते हुए नमन किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है कि महान स्वतंत्रता सेनानी और भारत माता के सच्चे सपूत नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनकी जन्म-जयंती पर शत-शत नमन। कृतज्ञ राष्ट्र देश की आजादी के लिए उनके त्याग और समर्पण को सदा याद रखेगा।

वहीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए लिखा, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के 125वें जयंती वर्ष के समारोहों के शुभारंभ के अवसर पर उनको सादर नमन। उनके अदम्य साहस और वीरता के सम्मान में पूरा राष्ट्र उनकी जयंती को "पराक्रम दिवस" ​​के रूप में मना रहा है। नेताजी ने अपने अनगिनत अनुयायियों में राष्ट्रवाद की भावना का संचार किया।

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में असाधारण योगदान देने वाले नेताजी हमारे सबसे प्रिय राष्ट्र नायकों में से एक हैं। उनकी देशभक्ति और बलिदान से हमें सदैव प्रेरणा मिलती रहेगी। उन्होंने आजादी की भावना पर बहुत बल दिया और उसे मजबूत बनाने के लिए हम पूर्णतया प्रतिबद्ध हैं। वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए लिखा है कि वो सही मायने में एक सच्चे नेता थे और देश की एकता में काफी मजबूती से भरोसा करते थे। हमलोग नेताजी के 125वीं जयंती को देशनायक दिवस के रूप में मना रहे हैं।

बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती देशभर में भव्य स्तर पर मनाई जा रही है। बोस की जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज बंगाल के दौरे पर रहेंगे। केंद्र सरकार ने देश के प्रति नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अदम्य भावना और निस्वार्थ सेवा का सम्मान करने और उन्हें याद करने के लिए सरकार ने देश की जनता विशेषकर युवाओं को प्रेरणा देने के लिए, हर साल 23 जनवरी को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाने का फैसला किया है। वहीं टीएमसी इस दिन को देशनायक दिवस के रूप में मना रही है।

बंगाल चुनाव के चलते अहम हुए कार्यक्रम

बंगाल चुनाव के लिहाज से देखें तो नेताजी की 125वीं जयंती टीएमसी और बीजेपी दोनो ही पार्टियों के लिए काफी अहम है। दरअसल बीजेपी बंगाली अस्मिता के साथ खुद को जोड़ने की कोशिश में है, वहीं टीएमसी बंगाली संस्कृति के रक्षक के तौर पर खुद को साबित करना चाहती है।


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