नई दिल्ली: इंस्टेंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा है कि अगर उसे अपने मैसेज एन्क्रिप्शन को तोड़ने के लिए मजबूर किया गया तो वह भारत छोड़ सकता है।
यह मामला भारत सरकार के नए सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आदेश) नियम, 2021 से जुड़ा है, जिन्हें IT नियम 2021 के नाम से भी जाना जाता है।
व्हाट्सएप का तर्क:
गोपनीयता का उल्लंघन: व्हाट्सएप का कहना है कि नए नियम भारत में यूजर्स की निजता को कमजोर करते हैं और यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।
अन्यायपूर्ण: व्हाट्सएप का यह भी तर्क है कि दुनिया में कहीं और भी ऐसे कड़े नियम नहीं हैं, यहां तक कि ब्राजील जैसे देशों में भी नहीं।
अप्रभावी: कंपनी का कहना है कि यह नियम यूजर्स की निजता के खिलाफ हैं और बिना किसी उचित परामर्श के लागू किए गए हैं।
कार्यान्वयन में मुश्किल: व्हाट्सएप का कहना है कि नए नियमों का पालन करना उनके लिए बेहद मुश्किल होगा, क्योंकि उन्हें हर संदेश को सालों तक स्टोर करना होगा, जिसके लिए भारी मात्रा में डेटा स्टोरेज और इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता होगी।
एन्क्रिप्शन क्या है?
एन्क्रिप्शन एक ऐसी तकनीक है जो डेटा को एक गुप्त कोड में बदल देती है ताकि केवल अधिकृत व्यक्ति ही इसे पढ़ सकें।
व्हाट्सएप एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का उपयोग करता है, जिसका अर्थ है कि केवल संदेश भेजने वाला और प्राप्त करने वाला ही संदेशों को पढ़ सकते हैं, यहां तक कि व्हाट्सएप भी नहीं।
अगली सुनवाई:
दिल्ली हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को बीच का रास्ता निकालने के लिए कहा है। मामले की अगली सुनवाई 14 अगस्त, 2024 को होगी।
यह मामला भारत में डेटा गोपनीयता और सरकार द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नियंत्रण को लेकर एक महत्वपूर्ण बहस को जन्म दे रहा है।