रायपुर : 26/11 मुंबई आतंकी हमलों का आरोपी तहव्वुर राणा आखिरकार भारत की गिरफ्त में है। अमेरिका से उसे भारत लाना आसान नहीं था, लेकिन राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की एक विशेष टीम ने यह बड़ी सफलता हासिल की। इस टीम में तीन अधिकारियों की अहम भूमिका रही, जिनमें से एक हैं छत्तीसगढ़ कैडर के तेज-तर्रार आईपीएस प्रभात कुमार। उन्होंने इस मिशन में अमेरिका से लेकर भारत पहुंचने तक की प्रक्रिया को संभाला और उसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
अमेरिका में पैरवी से लेकर भारत लाने तक की जिम्मेदारी :
प्रभात कुमार इस वक्त NIA में सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस (SP) के पद पर कार्यरत हैं। वह 2019 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और अपनी तेज सोच, रणनीतिक नेतृत्व और जमीनी अनुभव के लिए जाने जाते हैं। तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण में प्रभात कुमार ने न केवल अमेरिका में कानूनी प्रक्रिया की पैरवी में मदद की, बल्कि भारत लाने की तमाम तैयारियों और सुरक्षा व्यवस्था का भी नेतृत्व किया। उन्होंने दिल्ली एयरपोर्ट से लेकर NIA हेडक्वार्टर तक पूरे समन्वय की जिम्मेदारी निभाई।
इस टीम में प्रभात कुमार के साथ दो और सीनियर अधिकारी शामिल थे—जया राय, 2011 बैच की झारखंड कैडर की आईपीएस और आशीष बत्रा, 1997 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी। इन तीनों अधिकारियों की रणनीति, सतर्कता और मेहनत से यह अंतरराष्ट्रीय स्तर का मिशन सफलता तक पहुंच सका।
कौन हैं प्रभात कुमार?
प्रभात कुमार मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने देश के प्रतिष्ठित संस्थान IIT से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और फिर UPSC की परीक्षा पास कर आईपीएस अधिकारी बने। वह छत्तीसगढ़ कैडर के 2019 बैच से हैं और अब तक कई ज़िम्मेदार पदों पर रह चुके हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत में ही खुद को एक कुशल, साहसी और निडर अधिकारी के रूप में साबित किया है।
छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में, जहां नक्सलवाद एक बड़ी चुनौती है, प्रभात कुमार ने बतौर पुलिस अधीक्षक (SP) नारायणपुर जैसे नक्सल प्रभावित जिले में काम किया और कई सफल ऑपरेशन चलाए। उनके नेतृत्व में कई नक्सलियों ने सरेंडर किया और बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां भी हुईं। इसके अलावा उन्होंने रायगढ़ और दुर्ग जिलों में भी महत्त्वपूर्ण ज़िम्मेदारियाँ संभाली हैं।
नक्सल मोर्चे पर भी सफलता:
प्रभात कुमार ने नक्सल प्रभावित इलाकों में न केवल अपराध को नियंत्रित किया, बल्कि स्थानीय लोगों का भरोसा भी जीता। उनके नेतृत्व में चलाए गए अभियानों में पुलिस को लगातार सफलता मिली। उन्होंने अपनी रणनीति, जमीनी समझ और मानवता के साथ कानून व्यवस्था को मजबूत किया।
क्यों खास है यह कामयाबी?
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी आतंकी को अमेरिका जैसे देश से भारत लाना, भारत की कूटनीतिक और न्यायिक ताकत को दर्शाता है। इस प्रक्रिया में कोई चूक या लापरवाही भारत की छवि और केस को प्रभावित कर सकती थी। ऐसे में प्रभात कुमार जैसे अफसर का संयम, समझ और सटीक कार्यशैली इस मिशन को सफल बनाने में निर्णायक रही।
आज के युवाओं के लिए एक प्रेरणा:
तहव्वुर राणा को भारत लाना केवल एक कानूनी प्रक्रिया नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती थी। इस चुनौती को प्रभात कुमार जैसे युवा अधिकारियों ने अपने नेतृत्व और समर्पण से मुमकिन बनाया। उनके जैसे अफसर आज के युवाओं के लिए एक प्रेरणा हैं और देश की सुरक्षा प्रणाली की ताकत का प्रतीक भी।