बिलासपुर जिले के ग्राम पंचायत पूरा से एक हैरान करने वाली हकीकत सामने आई है, जहां किसी ग्रामीण की मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार की तारीख मौसम तय करता है। गांव में मुक्तिधाम (श्मशान घाट) की सुविधा न होने के कारण, परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है — खासकर बरसात के मौसम में।
बारिश बनी बाधा, शव एक दिन तक रखा रहा घर में
गांव में हाल ही में 65 वर्षीय राधेश्याम साहू का निधन हुआ, लेकिन लगातार तेज बारिश और श्मशान में मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण 7 जुलाई को होने वाला अंतिम संस्कार 8 जुलाई को करना पड़ा। शव को एक दिन तक घर में रखना पड़ा। परिजनों और ग्रामीणों ने बारिश से बचने के लिए टीन की चादरों से अस्थायी शेड बनाया और पानी से बचाव की व्यवस्था की, तब जाकर किसी तरह दाह संस्कार संभव हो पाया।
5 साल से शेड और सड़क की मांग, कोई सुनवाई नहीं
गांव के लोगों की मानें तो वे पिछले पांच वर्षों से श्मशान घाट पर शेड निर्माण और सड़क सुविधा की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक किसी भी स्तर पर सुनवाई नहीं हुई है। श्मशान तक पहुंचने के लिए कोई पक्की सड़क भी नहीं है, जिससे हर मौसम में लोगों को असुविधा होती है। पंचायत द्वारा कई बार प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन प्रशासनिक कार्रवाई अधर में ही रह गई।
बरसात में टीन लेकर जाते हैं ग्रामीण
गांव में न शेड है, न ढकने का कोई इंतजाम। ऐसे में जब बारिश के मौसम में किसी की मृत्यु होती है, तो ग्रामीण टीन की चादरें लेकर श्मशान पहुंचते हैं, वहां अस्थायी शेड बनाते हैं और कोशिश करते हैं कि शव और चिता को बारिश से बचाया जा सके। यह प्रक्रिया काफी कठिन और अपमानजनक भी मानी जा रही है, खासकर तब जब देश में विकास के दावे किए जा रहे हैं।
प्रशासन ने दिए आश्वासन
तखतपुर तहसीलदार पंकज सिंह और जनपद सीईओ सत्यव्रत तिवारी ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जल्द ही पंचायत से ज़मीन चिन्हित कराकर मुक्तिधाम के लिए शेड निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
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