गणेश मिश्रा //बीजापुर । मंगलवार की रात जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान में आतंक के ठिकानों पर कहर बरपाया, उसी वक्त छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर स्थित कर्रेगुट्टा पहाड़ पर भी सुरक्षाबलों ने नक्सलियों को करारा जवाब दिया। बीते पखवाड़े से जारी घेराबंदी के बाद अब तक की सबसे बड़ी मुठभेड़ में जवानों ने 26 नक्सलियों को ढेर कर दिया है, और यह संख्या अभी और बढ़ सकती है।
अब तक का सबसे बड़ा नक्सल ऑपरेशन:
कर्रेगुट्टा की दुर्गम पहाड़ियों को चारों ओर से घेरकर सुरक्षाबलों ने एक सुनियोजित और शक्तिशाली ऑपरेशन चलाया। बुधवार सुबह तक की कार्रवाई में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी मिली है। सूत्रों के मुताबिक, जल्द ही तीसरी और अंतिम पहाड़ी पर भी जवान कब्जा जमा सकते हैं, जिससे यह ऑपरेशन पूरी तरह सफल हो जाएगा।
एयरलिफ्ट होकर पहुंचे थे जवान:
गौरतलब है कि बीते सप्ताह वायुसेना के हेलीकॉप्टरों की मदद से सुरक्षाबलों को धोबे की पहाड़ियों पर उतारा गया था, जहां से कर्रेगुट्टा का अभियान शुरू किया गया। खुफिया इनपुट्स के अनुसार, कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों में नक्सलियों के टॉप लीडर्स छिपे हुए हैं। इन्हें पकड़ना इस ऑपरेशन की सबसे बड़ी प्राथमिकता है।
क्यों है कर्रेगुट्टा इतना खास?:
कर्रेगुट्टा पहाड़ अपनी दुर्गम भौगोलिक स्थिति, घने जंगलों और प्राकृतिक संसाधनों के कारण लंबे समय से नक्सलियों का गढ़ बना हुआ है। यह इलाका इतना जटिल है कि यहां छिपे रहना आसान और ढूंढ पाना बेहद मुश्किल होता है। यही वजह है कि नक्सलियों ने यहां महीनों का राशन-पानी जमा कर रखा था और इसे सुरक्षित अड्डा बना रखा था।
टॉप लीडर्स पर निगाह:
ऑपरेशन के चलते अब तक नक्सलियों के कब्जे वाली तीन में से दो पहाड़ियों पर जवानों का नियंत्रण हो चुका है। अंतिम पहाड़ी पर भी अब कार्रवाई अंतिम चरण में है। सवाल यही है — क्या टॉप नक्सली लीडर्स जवानों के हाथ लगेंगे या फिर जंगलों का फायदा उठाकर भाग निकलेंगे?