राजा शर्मा //डोंगरगढ़: माँ बम्लेश्वरी ट्रस्ट समिति डोंगरगढ़ के आगामी चुनाव को लेकर सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष नारायण अग्रवाल और पूर्व मंत्री नवनीत तिवारी की सदस्यता पूर्व में सामान्य सभा की बैठक में विधान विरुद्ध रद्द कर दी गई थी। जिसके खिलाफ दोनों ने एसडीएम (पंजीयक)कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था। हाल ही में पंजीयक ने दोनों की सदस्यता बहाल करने का आदेश जारी किया, लेकिन इसके बाद नया विवाद खड़ा हो गया है।
रातभर चला विरोध, जमावड़ा लगा रहा:
सूत्रों के मुताबिक, बीती रात ट्रस्ट समिति की बैठक छिरपानी स्थित प्रधान कार्यालय में आयोजित की गई थी। बैठक के दौरान दोनों पूर्व सदस्य कोर्ट का आदेश लेकर कार्यालय पहुंचे, लेकिन आरोप है कि ट्रस्ट समिति के वर्तमान अध्यक्ष मनोज अग्रवाल ने उनका आवेदन लेने से साफ इंकार कर दिया। इसके विरोध में देर रात तक दोनों पक्षों के लोगों का जमवाड़ा प्रधान कार्यालय छिरपानी में बना हुआ था। बैठक ख़त्म होने के पश्चात् ट्रस्ट समिति अध्यक्ष मनोज अग्रवाल ने कोर्ट के आदेश को लिया और जो भी विवाद सदस्यता को लेकर था उसको भी सुधार करने का मौखिक आश्वासन भी दिया।
मनोज अग्रवाल ने लगाए गए आरोपों को नकारा:
ट्रस्ट समिति अध्यक्ष मनोज अग्रवाल ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह सब वर्तमान ट्रस्ट को बदनाम करने की साज़िश है और चुनाव से पहले अनावश्यक विवाद खड़ा किया जा रहा है। इस पूरे घटनाक्रम के बाद शहर में चर्चाओं का बाज़ार गर्म हो चुका है। सवाल उठ रहे हैं कि माँ बम्लेश्वरी जैसे धार्मिक आस्था के केंद्र में राजनीति का प्रवेश कहाँ तक उचित है? यह पहला मौका नहीं है जब ट्रस्ट चुनाव के पहले ऐसे नाटकीय हालात बने हैं — हर चुनाव से पहले इस तरह की खींचतान यहाँ आम बात मानी जाती है।
चुनाव में खर्च को लेकर भी चर्चाएँ तेज:
वहीं जानकार सूत्रों का दावा है कि ट्रस्ट चुनाव में दोनों प्रमुख पैनल लाखों रुपए तक खर्च करते हैं। ऐसे में शहरवासियों के बीच यह चर्चा भी आम है कि जब आस्था के नाम पर इतना बड़ा खर्च होता है, तो कहीं न कहीं इसे वसूल भी किया जाता होगा।
फिलहाल चुनाव नज़दीक हैं और आने वाले दिनों में ऐसे और भी कई घटनाक्रम सामने आ सकते हैं। सवाल यही है कि क्या यह सब कुछ माँ बम्लेश्वरी जैसे प्रतिष्ठित धार्मिक स्थल की छवि पर असर नहीं डालता?