रायपुर : पाठ्यपुस्तक निगम द्वारा प्रदेशभर के शासकीय विद्यालयों में किताब वितरण का कार्य आरंभ कर दिया गया है, लेकिन निजी स्कूलों का नंबर अब तक नहीं आया है। ऐसा इसलिए क्योंकि पापुनि द्वारा अब तक इंग्लिश माध्यम की किताबें नहीं छापी जा सकी हैं। पापुनि द्वारा शासकीय व निजी दोनों ही विद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों को निशुल्क किताबें वितरित की जाती हैं।
स्कूलों में वितरण तिथि नहीं बताई गई :
प्रदेश के अधिकतर निजी स्कूल इंग्लिश माध्यम हैं, जहां अंग्रेजी किताबें ही चलती हैं। ऐसे निजी स्कूलों की संख्या बहुत कम है, जहां हिंदी माध्यम में पढ़ाई होती है। चूंकि किताबें छपकर ही नहीं आई हैं, ऐसे में निजी स्कूलों को वितरण तिथि ही नहीं बताई गई है।
इस सत्र में भी नहीं पहुंचेंगी किताबें :
प्रदेश के स्कूलों में नवीन शैक्षणिक सत्र की शुरुआत 16 जून से होगी। इसके पूर्व निजी स्कूलों तक किताबें इस सत्र तक नहीं पहुंच सकेंगे, क्योंकि 6 दिन शेष होने पर भी वितरण शेड्यूल ही जारी नहीं किया जा सका है।
इसलिए बाद में छपाई :
पिछले शैक्षणिक सत्र में थोक में किताबें कबाड़ में मिली थी। इसके बाद से किताबों के वितरण और प्रकाशन के लिए भेजी जानी वाली संख्या को लेकर विवाद प्रारंभ हो गया था। शासन द्वारा इसे लेकर जांच कमेटी भी बनाई गई थी। जांच रिपोर्ट आने, नए सत्र में छपने वाली किताबों की संख्या तय करने, बार कोड सहित वितरण की नई व्यवस्था करने संबंधित चीजों में वक्त लगने के कारण पापुनि तय वक्त पर किताबें छपने के लिए नहीं भेज सका। सामान्यतः किताबें दिसंबर-जनवरी तक छपने के लिए भेज दी जाती हैं। इस बार इसमें तीन माह की देर हुई। चूंकि शासकीय विद्यालयों में हिंदी माध्यम की किताबें ही चलती हैं, इसलिए प्रकाशकों को पहले हिंदी माध्यम की किताबें छापने आदेश दिया गया। इसके बाद प्राइवेट स्कूलों के लिए इंग्लिश माध्यम की किताबें छापी जा रही हैं।
नहीं पढ़ा सकते पुरानी किताबें :
निजी विद्यालय संघ के अध्यक्ष का कहना हैं की - पहली, दूसरी, तीसरी और छठवीं कक्षा के पाठ्यक्रम में इस बार बदलाव हुआ है। इस कारण हम पुरानी किताबें नहीं पढ़ा सकते। समय पर पापुनि ने किताबें उपलब्ध नहीं करवाई तो निजी प्रकाशकों की किताबों से अध्ययन के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।