रायपुर। छत्तीसगढ़ के छोटे से जिले मुंगेली से निकलकर देश और दुनिया में नाम रोशन करने वाले पार्थ तिवारी ने एक बार फिर राज्य को गर्व महसूस कराया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व वैज्ञानिक और आईआईटी गुवाहाटी के स्नातक पार्थ तिवारी ने प्रतिष्ठित आईआईएम बैंगलोर के एक्जीक्यूटिव पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम (EPGP) में स्वर्ण पदक हासिल कर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। यह उपलब्धि न केवल मुंगेली, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गौरव का क्षण है।
चंद्रयान-3 मिशन में भी पार्थ का योगदान :
पार्थ का सफर बेहद प्रेरणादायक रहा है। एक स्कूली छात्र के रूप में मुंगेली से अपनी शैक्षणिक यात्रा शुरू करने वाले पार्थ ने न सिर्फ आईआईटी गुवाहाटी में दाखिला लिया, बल्कि भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का अहम हिस्सा भी बने। उन्होंने चंद्रयान-3 मिशन में इसरो वैज्ञानिक के तौर पर कार्य किया और भारत के अंतरिक्ष अभियान में योगदान दिया।
पार्थ का सफर पार्थ के जुबानी :
एक खास बातचीत में पार्थ ने बताया कि उनके पिता एक शिक्षक हैं और घर में पढ़ाई का अनुकूल माहौल उन्हें शुरू से ही मिला। उन्होंने पढ़ाई में हमेशा निरंतरता और व्यवहारिकता पर ध्यान दिया, जिसका नतीजा यह रहा कि वे आईआईटी में सफलता के बाद इसरो जैसे प्रतिष्ठित संस्थान तक पहुंचे।
पार्थ ने 2017 में बीटेक के तुरंत बाद अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एरोनॉटिक्स और एस्ट्रोनॉटिक्स में एमएस करने का प्रस्ताव भी प्राप्त किया था, लेकिन उन्होंने देश को प्राथमिकता दी और इसरो में शामिल होने का निर्णय लिया, और चंद्रयान-3 पर काम किया।