Bhopal News : देश के 19 राज्यों में पुस्तकालय अधिनियम लागू हो चुका है, मगर मध्यप्रदेश अभी भी इस दिशा में पीछे है। यहां भी यह कानून जल्द लागू किया जाना चाहिए। यह बात जाने माने साहित्यकार डाॅ. देवेंद्र दीपक ने रविवार शाम दुष्यंत कुमार स्मारक पांडुलिपि संग्रहालय में भव्या प्रकाशन द्वारा आयोजित ‘अलंकरण समारोह’ की अध्यक्षता करते हुए कही।
डाॅ. दीपक ने कहा है कि लेखन केवल रचना नहीं, राम काज है। मुख्य अतिथि भारत भवन के प्रशासनिक अधिकारी प्रेमशंकर शुक्ल ने कहा कि सृजन से ही जीवन को पूर्णता मिलती है। लेखक का समाज में विशेष स्थान होता है, और उसे यह जिम्मेदारी ईमानदारी से निभानी चाहिए। विशेष अतिथि बाल कल्याण केंद्र के निदेशक महेश सक्सेना ने कहा कि लेखकों का सम्मान समाज का दायित्व है। वहीं सारस्वत अतिथि अक्षत शर्मा ने कहा कि डिजिटल युग में भी शब्द की महत्ता बनी हुई है। समारोह में साहित्य, शिक्षा और समाजसेवा से जुड़े 11 रचनाकारों को विभिन्न राष्ट्रीय सम्मानों से अलंकृत किया गया।
ये हुए सम्मानित
अभिषेक लाडगे को भारतेंदु हरिश्चंद्र राष्ट्रीय साहित्य सम्मान, विजय जोशी राजस्थान को मुंशी प्रेमचंद राष्ट्रीय कथा सम्मान, डाॅ. क्षमा पाण्डेय भोपाल को श्रीमती कला देवी नेमा राष्ट्रीय साहित्य एवं समाज सेवा सम्मान, श्री प्रणेश गुप्ता को प्रीतम सिंह स्मृति राष्ट्रीय नवलेखन सम्मान, श्रीमती प्रतिभा जोशी अजमेर को राष्ट्रीय युवा साहित्यकार सम्मान, प्रो. रागिनी उपलपवार को उर्मिला चतुर्वेदी स्मृति राष्ट्रीय साहित्य सम्मान, श्रीकांत गुडा जैन सागर को उत्कृष्ठ राष्ट्रीय सेवा सम्मान, डाॅ. रंजना शर्मा भोपाल को डाॅ. घनश्याम बेलावत स्मृति राष्ट्रीय बाल साहित्य सम्मान, डाॅ. अल्पना वर्मा को डाॅ. जे. आर. गेब्रियल स्मृति राष्ट्रीय साहित्य सम्मान, काव्यदीप राष्ट्रीय साहित्य सम्मान डाॅ. रमाकांता रोहतक एवं गंगा विष्णु दुबे स्मृति राष्ट्रीय शिक्षा सम्मान से श्रीमती सोनू खजूरिया प्रदान किया गया। समारोह में लेखकों की नयी प्रकाशित कृतियों का लोकार्पण भी हुआ। वाणी शर्मा, श्रीजिता साहा, राधिका परसाई और गायत्री विश्वकर्मा ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं।