रायपुर | खरीफ सीजन 2025 के दौरान छत्तीसगढ़ सरकार ने रासायनिक उर्वरकों की मांग को लेकर व्यापक तैयारियां की हैं। राज्य सरकार ने समय रहते उर्वरकों की उपलब्धता, भंडारण और वितरण की पुख्ता व्यवस्था की है और लगातार निगरानी के चलते राज्य में उर्वरकों की स्थिति नियंत्रण में बनी हुई है।
उर्वरकों की कुल मांग में बढ़ोतरी, डीएपी की जगह वैकल्पिक उर्वरकों पर ज़ोर
इस वर्ष खरीफ के लिए राज्य में शुरू में 14.62 लाख मीट्रिक टन उर्वरकों के वितरण का लक्ष्य तय किया गया था, जिसमें यूरिया, डीएपी, एनपीके, पोटाश और सुपर फास्फेट शामिल थे। लेकिन डीएपी की राष्ट्रीय स्तर पर आपूर्ति में कमी को देखते हुए सरकार ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और एनपीके, सुपर फास्फेट और नेनो डीएपी जैसे वैकल्पिक उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित की। इसके परिणामस्वरूप वितरण लक्ष्य को संशोधित कर 17.18 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया।
अब तक हुआ 12.27 लाख मीट्रिक टन उर्वरकों का भंडारण
राज्य में अब तक विभिन्न प्रकार के 12.27 लाख मीट्रिक टन उर्वरकों का भंडारण किया जा चुका है। इनमें से 5.63 लाख मीट्रिक टन यूरिया स्टॉक में है, जबकि 3.76 लाख मीट्रिक टन का वितरण किया जा चुका है। शेष 1.86 लाख मीट्रिक टन यूरिया किसानों के लिए वितरण हेतु उपलब्ध है।
धान की फसल में यूरिया का तीन चरणों में उपयोग किया जाता है — रोपाई के समय, 3–4 सप्ताह बाद और 7–8 सप्ताह बाद गभौट अवस्था में। इसी आधार पर सरकार ने यूरिया की चरणबद्ध आपूर्ति सुनिश्चित की है।
डीएपी की कमी के विकल्प तैयार, वैकल्पिक उर्वरकों का अतिरिक्त भंडारण
राज्य सरकार ने एनपीके का लक्ष्य बढ़ाकर 4.90 लाख मीट्रिक टन और सुपर फास्फेट का लक्ष्य 3.53 लाख मीट्रिक टन कर दिया है। वर्तमान में एनपीके 11,000 टन और सुपर फास्फेट 54,000 टन लक्ष्य से अधिक मात्रा में उपलब्ध हैं। इससे 23,600 टन डीएपी में मौजूद फॉस्फेट तत्व की पूर्ति की जा सकेगी।
जुलाई में 2.33 लाख टन उर्वरकों की आपूर्ति का प्लान
जुलाई माह में राज्य को कुल 2.33 लाख मीट्रिक टन उर्वरक प्राप्त होंगे, जिसमें 1.25 लाख टन यूरिया, 48,850 टन डीएपी, 34,380 टन एनपीके, 10,000 टन पोटाश और 76,000 टन सुपर फास्फेट शामिल हैं। माह के अंत तक डीएपी का कुल भंडारण 1.95 लाख टन तक पहुंचने की संभावना है।
नैनो डीएपी को भी मिल रहा बढ़ावा
डीएपी की मांग को संतुलित करने के लिए 25,000 टन सुपर फास्फेट और 40,000 टन एनपीके का अतिरिक्त भंडारण भी किया जा रहा है। साथ ही, सहकारी क्षेत्र में 1 लाख बोतल नैनो डीएपी का स्टॉक किया जा रहा है, जिससे 25,000 टन पारंपरिक डीएपी की आवश्यकता पूरी की जा सकती है।