रायपुर। कल यानी 03 अक्टूबर 2024 से शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व चालू हो जायेगा। माता के भक्त अपने अपने देवी मंदिरों और घरों में ज्योति कलश प्रज्जवलित करने के साथ ही नौ दुर्गा की स्थापना भी करेंगे लेकिन माता की पूजा को बिना त्रुटि के कैसे सफल बनाएं, इसे लेकर कई भक्तों को इसकी जानकारी नहीं होती है। अगर आप पूजन में लगे हुए हैं और कोई त्रुटि हुई तो यह त्रुटि पुरे विधान का फल बिगाड़ सकती है। आज हम आपको नवरात्रि में पूजा की सफल विधि विधान के बारे में बताएंगे।
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रायपुर में प्रसिद्द संत और पंडित महर्षि मुक्तेश्वरानन्द ने बताया कि नवरात्रि के पर्व में माता की स्थापना के समय जब कलश तैयार किया जाता है इसमें बहुत ही सावधानी की आवश्यकता होती है। कलश स्थापना के दौरान कुछ पवित्र सामग्रियां कलश में जरूर डालनी चाहिए।
कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त
3 अक्टूबर को नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के दो शुभ मुहूर्त हैं। एक ब्रह्म मुहूर्त है जो सुबह 05 बजे से 07 बजे तक है और दूसरा कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त है जो 11 बजकर 52 मिनट से लेकर 12 बजकर 40 मिनट तक रहेगा।
कलश में पंचरत्न अवश्य डालें
03 अक्टूबर 2024 को शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा है। प्रथम दिवस सुबह के समय भक्त घरों और मंदिरों में कलश स्थापना करेंगे इसे घटस्थापना भी कहा जाता है। कलश स्थापना करते समय कलश में पंचरत्न अवश्य डालना चाहिए।
ये पंचरत्न कलश में जरूर डालें
महर्षि मुक्तेश्वरानन्द ने बताया कि घटस्थापना करते समय कलश हमेशा मिट्टी और बालू में रखना चाहिए। बालू और मिट्टी के ऊपर जौ अवश्य डालना चाहिए फिर उसके उपर कलश रखनी चाहिए। कलश में पंचरत्न में हल्दी , सुपारी , गंगाजल , अक्षत और सर्व औषधि होती है। कलश में पंच पल्लव और सिक्का डालना न भूलें यह बहुत ही शुभ माना गया है। इन सामग्रियों को कलश में डालने से मां दुर्गा प्रसन्न होती है।