Narendra Saluja : बुधवार यानी 30 अप्रैल का दिन मध्यप्रदेश भाजपा के लिए बुर दिन साबित रहा। इस दिन बीजेपी ने अपना एक वाणी पुत्र को खो दिया। एकाएक एमपी भाजपा के मुखर प्रवक्ता नरेन्द्र सलूज की आवाज थम गई। नरेन्द्र सलूजा के निधन की खबर ने भोपाल ही नहीं बल्कि समूचे मध्यप्रदेा को स्तब्ध करके रख दिया। बीते बुधवार को शाम करीब 4 बजे खबर आई की बीजेपी का असरदार 'सरदार' खामोश हो गया।
जिसने सुना वो अवाक रह गया, आंखें भीगी
दोपहर 3 बजे तक सक कुछ सामान्य था। टीवी चैनलों पर परशुराम जयंती और मंत्री विजयवर्गीय के जन्मदिन की खबरे फ्लेश हो रही थी। जैसे ही 4 बजे पलभर में सब कुछ बदल गया। चैनलों की ब्रेकिंग में सलूजा के निधन की खबरे फ्लेश होने लगी। जिसने भी सुना वो अवाक रह गया, आंखें भीग गईं। क्योंकि नरेंद्र सलूजा भाजपा के प्रवक्ता जरूर थे, लेकिन उनका नाता सभी दल और हर तरह के नेताओं से था। इसी के चलते कमलनाथ से लेकर शिवराज, सीएम मोहन यादव सोशल मीडिया पर उनको श्रद्धासुमन समर्पित करने रोक नहीं पाए। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने सलूजा को अपना परम मित्र बताया, तो वही सीएम डॉ. यादव ने उन्हें सच्चा साथी करार दिया।
तीन साल में तीन प्रवक्ताओं का निधन
बता दें की मध्यप्रदेश बीजेपी तीन सालों में अपने तीन वाणी पुत्रों को खो चुकी है। सबसे पहले भाजपा प्रवक्ता उमेश शर्मा ने दुनिया को अलविदा कहा। इसके बाद अपनी वाणी से मुखर माने जाने वाले भाजपा प्रवक्ता गोविंद मालू का निधन हो गया। और अब बीजेपी के असरदार सरदार प्रवक्ता नरेन्द्र सिंह सलूजा का निधन हो गया। सलूजा के निधन से भाजपा शोक में डूबी हुई है।
कौन थे नरेंद्र सलूजा?
नरेंद्र सलूजा अपनी मुखर वाणी के लिए पहचाने जाते थे। वे ऐसे नेता थे जिनकी कांग्रेस और भाजपा-दोनों दलों में पैठ थी। एक समय था जब वे तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के सबसे भरोसेमंदों में से एक थे, लेकिन साल 2022 में पार्टी के अंदर मतभेद के चलते उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया था। शिवराज सिंह चौहान ने खुद सलूजा को बीजेपी की सदस्यता दिलाई थी। तब से लेकर बीते बुधवार तक वे भाजपा में सक्रिय नजर आए। सलूजा सबसे ज्यादा सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते थे। सबसे ज्यादा उनके निशाने पर कांग्रेस रहती थी।
क्यों बीजेपी में आए सलूजा?
दरअसल, बात साल 2022 की है। गुरुनानक जयंती के मौके पर इंदौर के खालसा कॉलेज में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में कमलनाथ भी पहुंचे थे। कमलनाथ के पहुंचने पर कीर्तनकार भड़क गए थे। मजबूरन नाथ को वहां से निकलना पड़। इसके बाद कमलनाथ ने सलूजा को सभी पदों से हटा दिया था। इसके बाद नरेंद्र सजूला ने 25 नवंबर 2022 को बीजेपी का दामन थाम लिया।
आपकों बता दें कि सलूजा बीते दो दिनों से सीहोर के एक रिसोर्ट में गुरमीत टूटेजा की बेटी की शादी में शामिल होने गए थे। बीते बुधवार को उनकी तबीयत भी बिगड़ी थी। उन्हें एसिडिटी की शिकायत हुई थी। उनके साथियों ने उन्हें डॉक्टर को दिखाने की सलाह भी दी थी, लेकिन उन्होंने नजरअंदाज कर दिया। इसके बाद वे इंदौर के लिए रवाना हो गए थे। जहां आज उनकी फिर तबीयत बिगड़ी और उनकी निधन हो गया।