राजा शर्मा// डोंगरगढ़: छत्तीसगढ़ के विश्व प्रसिद्ध मां बमलेश्वरी पहाड़ी पर पहली बार एक विशाल चट्टान खिसककर गिर गई है. जिससे इलाके में दहशत फैल गई। चट्टान गिरने से कई बड़े पेड़ धराशायी हो गए और दर्शन के लिए वन विभाग द्वारा बनाई पीछे की नई सीढ़ियों जो की मां रणचंडी प्राचीन मंदिर हैं यहां पर माता स्वयंभू हैं। यही से एक रास्ता मां बम्लेश्वरी पहाड़ों में स्थित मंदिर जाने का दूसरा मार्ग हैं । जिसका एक हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। स्थानीय लोगों ने बताया कि पहाड़ी पर ऐसा हादसा पहली बार हुआ है। स्थानीय निवासी मान बाई नेताम ने बताया,“सुबह जैसे बादल गरजते हैं वैसे आवाज आई। हमारा लड़का चिल्लाया कि माई, पत्थर गिर रहा है। हम लोग तो बचपन से यहां हैं, लेकिन ऐसा पहली बार देखा।” गनीमत रही कि चट्टान दूसरी चट्टानों पर अटक गई, वरना नीचे बसे घरों और रास्तों पर बड़ा हादसा हो सकता था।
सीढ़ियों के ऊपर का हिस्स क्षतिग्रस्त:
मिली जानकरी के मुताबिक ऊपर की एक बड़ी चट्टान पर पहाड़ी से बारूदी ब्लास्टिंग की गई थी, ऐसे में पहाड़ी की संरचना पहले से कमजोर हो गई। इसके साथ ही इस पहाड़ी पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई ,अवैज्ञानिक निर्माण पत्थरों की कटाई लंबे समय से हो रहा है, जिसे इस हादसे का कारण माना जा रहा है। इस तरह की गतिविधियां पहाड़ी की मजबूती को अब कमजोर का दिया है। बता दें कि पहाड़ी पर रणचंडी मंदिर की ओर बनी करीब 500 सीढ़ियां इस हादसे में टूटकर क्षतिग्रस्त हो गई हैं, और इससे मार्ग भी अवरुद्धही गए हैं।
चट्टानों के गिरने से कई पेड़ धराशायी:
डोंगरगढ़ का मां बमलेश्वरी मंदिर विश्व प्रसिद्ध है और यहां हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। ऐसे में हादसे ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घटना को लेकर वन परिक्षेत्र अधिकारी भूपेंद्र उइके ने कहा कि मां बमलेश्वरी पहाड़ी के पीछे दर्शन मार्ग में गिरी पेड़ों और चट्टान को हटाकर पूरा रास्ता साफ करा दिया है जिससे आने-जाने में श्रद्धालुओं का समस्या न हो। उन्होंने बताया कि पहाड़ी से दो विशाल चट्टानों के गिरने से कई पेड़ धराशायी हुई हैं, ये चट्टान कड़ी बड़ी है जिसे हटा नहीं सकते हैं, लेकिन इन सब में अच्छी बात यह है कि किसी तरह ही कोई जन हानि नहीं हुई है। वहीं इस घटना को प्राकृतिक आपदा माना जा रहा है. लेकिन फिर भी वन विभाग की तीन इस घटना के कारणों की जांच करेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा।
पर्यावरणीय संतुलन बनाना जरूरी:
फिलहाल मां बमलेश्वरी मंदिर ट्रस्ट समिति का चुनाव चल रहा है, जिससे इतनी बड़ी घटना के बावजूद ट्रस्ट की ओर से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। मंदिर संचालन और श्रद्धालुओं की व्यवस्था ट्रस्ट की जिम्मेदारी है, जबकि पहाड़ी और पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी पर्यावरण मंत्रालय और संबंधित विभागों की है।बिना भू-वैज्ञानिक परीक्षण के पहाड़ी पर की जा रही खुदाई, बारूदी ब्लास्टिंग और अवैज्ञानिक निर्माण कार्यों पर पर्यावरण मंत्रालय और संबंधित विभागों को तत्काल संज्ञान लेना चाहिए। यदि पहाड़ी पर हो रहे अंधाधुंध निर्माण और छेड़छाड़ को नहीं रोका गया तो भविष्य में बड़ा हादसा हो सकता है यह घटना प्रशासन और ट्रस्ट के लिए चेतावनी है कि आस्था और विकास के बीच पर्यावरणीय संतुलन बनाना जरूरी है। लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा और पहाड़ी के संरक्षण के लिए प्रशासन, ट्रस्ट और पर्यावरण मंत्रालय को मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे। तभी मां बमलेश्वरी पहाड़ी की आस्था और उसका प्राकृतिक वैभव सुरक्षित रह पाएगा।