केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के नए परिसर का नाम बदलकर ‘सेवा तीर्थ’ करने का निर्णय लिया है। अधिकारियों के अनुसार, यह नया परिसर सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत पहले ‘एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव’ के नाम से जाना जाता था। निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है और जल्द ही प्रधानमंत्री कार्यालय यहीं से कार्य करेगा।
सेवा की भावना पर आधारित नया परिसर
अधिकारियों ने बताया कि सेवा तीर्थ को ऐसा कार्यस्थल बनाया गया है, जो सेवा, दक्षता और आधुनिकता का प्रतीक होगा। उनके अनुसार, भारत के सार्वजनिक संस्थानों में शांत लेकिन गहन परिवर्तन का दौर जारी है, और यह नया ढांचा उसी बदलाव का हिस्सा है।
तीन इमारतों का कॉम्प्लेक्स: सेवा तीर्थ-1, 2 और 3
नए परिसर में कुल तीन आधुनिक इमारतें शामिल हैं:
सेवा तीर्थ-1 – यहीं से नया पीएमओ संचालित होगा।
सेवा तीर्थ-2 – यहाँ कैबिनेट सचिवालय का कार्यालय होगा।
सेवा तीर्थ-3 – इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) का कार्यालय संचालित होगा।
सूत्रों के मुताबिक, इन इमारतों में मंत्रालयों और विभागों की शिफ्टिंग शुरू भी हो चुकी है। 14 अक्टूबर को सेवा तीर्थ-2 में कैबिनेट सचिव टी.वी. सोमनाथन ने CDS और तीनों सेना प्रमुखों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की थी।
अधिकारियों का कहना है कि इस नए कॉम्प्लेक्स के शुरू होने से सरकारी कामकाज की गति और सुगमता में बड़ा सुधार होगा।
राजभवन का नाम भी बदला—अब ‘लोक भवन’
इसके समानांतर, गृह मंत्रालय ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए आठ राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में राज्यपाल/उपराज्यपाल आवास का नाम बदलकर ‘राजभवन/राज निवास’ की जगह ‘लोक भवन/लोक निवास’ करने का निर्देश जारी किया है। मंत्रालय का कहना है कि "राजभवन" शब्द औपनिवेशिक सोच से जुड़ा हुआ प्रतीत होता है।
यह कदम सरकार द्वारा स्थानों और संस्थानों के नामों को अधिक भारतीय एवं जन-केंद्रित बनाने की दिशा में जारी प्रयासों का हिस्सा है।
पहले भी हुए कई महत्वपूर्ण नाम परिवर्तन
हाल के वर्षों में सरकार ने कई बड़े प्रतिष्ठित स्थानों के नाम बदले हैं, जिनमें शामिल हैं—
राजपथ → कर्तव्य पथ
राष्ट्रपति भवन मार्ग → लोक कल्याण मार्ग (2016)
केंद्रीय सचिवालय → कर्तव्य भवन
सरकार का कहना है कि ये बदलाव भारत की लोकतांत्रिक और सांस्कृतिक पहचान को नए सिरे से परिभाषित करने को लेकर किए गए हैं।