संसद का शीतकालीन सत्र शुक्रवार को समाप्त हो गया, लेकिन दिल्ली और उत्तर भारत की गंभीर वायु प्रदूषण समस्या पर बहुप्रतीक्षित चर्चा नहीं हो सकी। हैरानी की बात यह रही कि सरकार और विपक्ष-दोनों की सहमति के बावजूद यह मुद्दा सदन में नहीं उठ पाया। भारी हंगामे और नारेबाजी के चलते चर्चा को कार्यसूची से बाहर कर दिया गया।
राहुल गांधी की पहल के बाद भी नहीं बन सका माहौल
पिछले सप्ताह विपक्ष के नेता राहुल गांधी की मांग पर केंद्र सरकार ने वायु प्रदूषण पर चर्चा के लिए सहमति दी थी। उम्मीद जताई जा रही थी कि सत्र के अंतिम चरण में दिल्ली के बिगड़ते एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) पर व्यापक बहस होगी। लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के कार्यालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार, सभी दलों की राय में सदन का माहौल इस संवेदनशील मुद्दे पर चर्चा के लिए अनुकूल नहीं था।
G RAM G Bill बना टकराव की वजह:
गुरुवार को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को लोकसभा में प्रदूषण पर जवाब देना था। इसी दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ग्रामीण रोजगार से जुड़े G RAM G Bill पर बोल रहे थे। बिल के पारित होते ही विपक्ष ने कड़ा विरोध शुरू कर दिया, जिससे सदन की कार्यवाही बाधित हुई और एक घंटे के भीतर लोकसभा स्थगित कर दी गई। बाद में यह विधेयक राज्यसभा से देर रात पारित हुआ, लेकिन प्रदूषण पर चर्चा टल गई।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल की मांग भी अनसुनी
कांग्रेस समेत कई विपक्षी सांसदों ने दिल्ली के प्रदूषण को लेकर स्थगन प्रस्ताव पेश किया था। कन्याकुमारी से सांसद विजय वसंत ने तो दिल्ली-एनसीआर में स्मॉग की भयावह स्थिति को देखते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने की मांग तक कर दी थी। बावजूद इसके, सदन में इस पर औपचारिक बहस नहीं हो सकी।
दिल्ली की हवा अब भी ‘सीवियर’ जोन में
13 से 15 दिसंबर के बीच दिल्ली का AQI ‘सीवियर’ और ‘सीवियर प्लस’ श्रेणी में दर्ज किया गया। 16 दिसंबर से कुछ इलाकों में मामूली राहत जरूर मिली, लेकिन कई क्षेत्रों में AQI अब भी 400 के पार बना हुआ है। घने कोहरे ने हालात को और गंभीर बना दिया है।
चाय पर चर्चा, लेकिन मुद्दा बदला:
सत्र के समापन पर संसद परिसर में एक अलग ही तस्वीर देखने को मिली, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रियंका गांधी चाय पर बातचीत करते नजर आए। हालांकि इस अनौपचारिक मुलाकात में चर्चा प्रदूषण जैसे अहम मुद्दे पर नहीं, बल्कि वायनाड के विकास को लेकर हुई।
अब 2026 के बजट सत्र तक इंतजार:
दिल्ली और उत्तर भारत के करोड़ों लोगों के लिए राहत की उम्मीद एक बार फिर टल गई है। संसद में वायु प्रदूषण जैसे गंभीर जनस्वास्थ्य मुद्दे पर चर्चा अब 2026 के बजट सत्र तक के लिए टल गई है, जिससे आम लोगों में निराशा बढ़ती जा रही है।