रीवा स्कूल घटना : मध्यप्रदेश के विंध्य इलाके रीवा में एक निजि स्कूल की जर्जर दीवार गिरने से 4 मासूम जिंदगियों की मौत का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बच्चों की मौत को लेकर अब प्रदेश में सियासत शुरू हो गई है। घटना को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने अपने एक बयान में कहा था कि प्रदेश में स्कूलों की स्थिति जर्जर है, बिना भवन के स्कूलों की भरमार है। 50 लाख बच्चे पिछले 10 सालों में स्कूल छोड़ चुके है।
रीवा की घटना को लेकर पटवारी ने कहा शासन प्रशासन ने स्कूल की कोई सुध नहीं ली। ये दुर्घटना नही थी ये हत्या थी और इस हत्या का जिम्मेदार सरकार है। एमपी की सरकार है, शिक्षा विभाग है। बात यह है कि सरकार का बजट 30 से 32 हजार करोड़ हो गया, लेकिन ये पैसा जाता कहा है। रीवा स्कूल घटना की न्यायिक जांच होनी चाहिए।
कौनसा नशा करते है कांग्रेसी?
जीतू पटवारी के रीवा घटना को लेकर दिए बयान के बाद अब प्रदेश भाजपा प्रवक्ता नरेन्द्र सलूजा ने पटवारी और कांग्रेस नेताओं पर बड़ा हमला बोला है। नरेन्द्र सलूजा ने एक्स पर लिखा है कि पता नहीं कांग्रेस के नेता गण दिन में ही कौन सा नशा कर लेते है...? होश ही नहीं रहता है, क्या बोल रहे है, कुछ पता नहीं, कोई जानकारी नहीं... हर घटना पर सिर्फ़ और सिर्फ़ राजनीति करना है, सरकार को कोसना है...बग़ैर सच्चाई जाने.. सलाहकार भी सही ज्ञान नहीं देते है...
क्या है वास्तविकता?
सलूजा ने आगे लिखा कि रीवा की घटना पर मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी कह रहे है कि स्कूल की दीवार गिर गई है, स्कूल प्रशासन पर, स्कूल विभाग पर मुक़दमा दर्ज हो...सरकारी स्कूल बता रहे है....? जबकि वास्तविकता यह है कि स्कूल निजी है, जो दीवार गिरी है वो स्कूल की नहीं है... स्कूल से थोड़ी दूर स्थित थी...निजी संपत्ति है, इस दीवार को लेकर दो भाइयो में पारिवारिक विवाद चल रहा है, मामला न्यायालय में है, स्टे भी पूर्व में मिला हुआ था...स्कूल से निकलकर बच्चे इस रास्ते से जा रहे थे, जहां पर यह दीवार गिर गई..
सीएम ने दिए निर्देश
सलूजा ने आगे बताया कि मामला बेहद दुखद है, दोनों भाइयो पर मामला दर्ज भी हो चुका है, पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता व सभी आवश्यक मदद के निर्देश मुख्यमंत्री जी की और से जारी किये जा चुके है... यह दुखद विषय राजनीति करने का भी नहीं है.... पीड़ित परिवारो के साथ खड़े होने का है... कांग्रेस कम से कम झूठ बोलने से व ऐसे दुखद विषयों पर राजनीति करने से बचे।