भोपाल। मप्र में सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का प्रमाणपत्र प्रदेश भर के इंजीनियरों ने दिया था। बाद में पीडब्ल्यूडी के अपर मुख्य सचिव केसी गुप्ता ने उन सभी प्रमाणपत्रों के आधार इंजीनियरों की ड्यूटी लगाकर उसका वेरीफिकेशन कराया। इस वेरीफिकेशन में प्रदेश भर में सड़कों के मेंटेनेंस में भारी खामी पाई गई है। यहां तक कि सड़कों को गड्ढा मुक्त करने करीब 400 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि इन जिलों के कार्यपालन यंत्रियों ने खर्च किया, पर स्थिति आज भी जस की तस बनी हुई है। अब 8 जिलों इंदौर एक, धार, बड़वानी, रायसेन, शहडोल, सिवनी, भिंड और पन्ना जिले के कार्यपालन यंत्रियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया है। नोटिस का संतोषजनक जवाब नहीं देने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पहले चरण में 8 जिलों के इंजीनियरों को नोटिस जारी
पीडब्ल्यूडी ने 7 से लेकर 22 अगस्त तक अभियान चलाकर हर साल की तरह इस साल भी प्रदेश की सड़कों को गड्ढा मुक्त कर दिया था। इसका बाकायदे प्रमाणपत्र भी दिया गया कि सड़कों में अब गड्ढा नही रह गया है। किंतु लगातार शिकायतें आती रही कि सड़कों में बड़े-बड़े गड्ढों की वजह से आना-जाना मुश्किल भरा हो गया है। इस पर अपर मुख्य सचिव पीडब्ल्यूडी केसी गुप्ता ने अलग-अलग टीमें बनाकर सभी तरह की सड़कों का वेरीफिकेशन कराने का निर्णय लिया। उन्होंने पीडब्ल्यूडी व एपीआरडीसी दोनों की टीमें गठित कर 9 से 15 सितंबर तक औचक निरीक्षण कराया। मजे की बात यह कि इस औचक निरीक्षण में ज्यादातर सड़कों की हालत खराब मिली। निरीक्षण करने वाली टीमों ने इसकी रिपोर्ट अपर मुख्य सचिव को भेजी। इसके बाद नोटिस का सिलसिला शुरू हो गया।
नोटिस में पूछा, क्यों न आपके खिलाफ वसूली की कार्रवाई की जाए
प्रभारी व रेगुलर कार्यपालन यंत्रियों को नोटिस में कहा गया कि कार्य के प्रति बरती गई लापरवाही पर आपके विरुद्ध मप्र सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तया अपील) नियम, 1966 के नियम-10 एवं 16 के तहत निम्नलिखित अवचारों एवं कदाचारों के कारण अनुशासनिक कार्रवाई का निर्णय लिया गया है। सड़कों के मरम्मत कार्य करने के संबंध में 13 से 20 अगस्त को वीडियो कॉन्फ्रेस में संधारण एवं परफारमेंस गारंटी के तहत आ रही सड़कों को 22 अगस्त तक गड्ढा मुक्त कर सभी संभागीय अधिकारियों को प्रमाण पत्र जारी करने के लिए निर्देशित किया गया था।
इसके बाद मापदंडों के अनुरूप गड्डामुक्त करने का प्रमाण पत्र दिया गया है, किंतु आपने सड़कों में गड्ढों के संबंध में वास्तविकता को छिपाया जाकर, गलत प्रमाण पत्र दिया है, जो आपकी ओर से कार्य की प्रति उदासीनता एवं गंभीर लापरवाही की श्रेणी में आता है। आपने कार्य विभाग नियमावली के प्रावधानों का पालन नहीं किया। आपका यह कृत्य मप्र सिविल सेवा (आचरण) नियम का स्पष्ट उल्लंघन है। यह कदाचरण की श्रेणी में आता है। उक्त कृत्य से आपने स्वयं को मप्र सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए उत्तरदायी बना लिया है। इस कदाचरण के लिए क्यो न आपके विरूद्ध अनुशासनात्मक व वसूली की कार्रवाई की जाए।
दर्जन भर इंजीनियरों के खिलाफ होगी सख्त कार्रवाई
इस मामले में गलत रिपोर्ट देने पर दर्जन भर इंजीनियरों व वरिष्ठ इंजीनियरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना लगभग तय हो गया है। कारण बताओ नोटिस के लिए इंजीनियरों को 15 दिनों के भीतर जवाब मांगा गया है। जवाब नहीं देने पर एक पक्षीय कार्रवाई की जाएगी। सड़कों के मेंटेनेंस के लिए एमपीआरडीसी व पीडब्ल्यूडी दोनों को मिलाकर प्रत्येक जिले में करीब 50 करोड़ रुपए से ऊपर की राशि खर्च की गई है। सूत्रों ने बताया कि सड़कों के मेंटेनेंस पर करीब 750 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च की गई है। इसमें से 400 करोड़ रुपए तो महज पीडब्ल्यूडी ने खर्च किया है, बाकी राशि एनएचएआई व आरडीसी ने खर्च की है। अब यह मामला उलझ गया है। इंजीनियरों के खिलाफ कार्रवाई तय हो गई है।