भोपाल। पंजीयन दफ्तर में रजिस्ट्री कराने के साथ ही ऑटोमेटिक नामांतरण का काम शुरू हो गया है। जिसके तहत रजिस्ट्री कराते ही यह साइबर तहसील में ट्रांसफर हो जाता है। जिसके बाद क्षेत्र का पटवारी ऑनलाइन रिपोर्ट पेश करता है, जिसके बाद ऑटोमेटिक नामांतरण हो रहा है। सबसे बड़ा फायदा यह है कि ऑनलाइन खसरे में भी खरीदार का नाम दर्ज किया जा रहा है। अक्टूबर माह से शुरू हुई साइबर तहसील में अब तक अकेले राजधानी में एक हजार नामांतरण दर्ज किए गए है। जबकि प्रदेश में अब तक करीब 55 हजार नामांतरण दर्ज किए हैं।
इस प्रोजेक्ट के तहत खेती की जमीन की रजिस्ट्री के बाद अब नामातंरण के लिए अलग से ऑफलाइन आवेदन करने की जरूरत नहीं है। रजिस्ट्री के समय ही इसके लिए ऑनलाइन आवेदन हो जाएगा। रजिस्ट्री होते ही विक्रय पत्र पर नामांतरण का ऑनलाइन आवेदन प्रिंट हो जाएगा, जो राजस्व विभाग के पोर्टल पर भी दिखने लगेगा। प्रोजेक्ट के तहत भू-संपदा, राजस्व (आरसीएमएस) और लैंड रिकॉर्ड इन तीनों के डेटा को इंटीग्रेटेड किया गया है। यदि किसी व्यक्ति या किसान के पास 1 एकड़ जमीन हो या 100 एकड़, यदि वह एक साथ बल्क में उसे बेचता है और वह एक ही जमीन का हिस्सा है तो उसके लिए यह प्रावधान लागू होगा। साइबर तहसील प्रोजेक्ट में भी आम रजिस्ट्री की तरह सर्विस प्रोवाइडर ही रजिस्ट्री के लिए आवेदन करेगा।
साइबर तहसील के तहत रजिस्ट्री होते ही ऑटोमेटिक नामांतरण किया जा रहा है। इसके लिए विक्रेता का नाम खसरे में दर्ज होना चाहिए। अब तक करीब एक हजार लोगों को नई व्यवस्था से सीधा फायदा मिला है। लोगों को तहसील दफ्तर आने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
कौशलेंद्र विक्रम सिंह, कलेक्टर