Vijay Shah Controversial : मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह द्वारा दिए गए विवादित बयान का मामला बढ़ता ही जा रहा है। उनके इस्तीफे की मांग तेज होती जा रही है। सुप्रीम कोर्ट में उनके खिलाफ दायर याचिका पर अगली सुनवाई 19 मई को होगी। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा गर्म है कि क्या विजय शाह को देश की अखंडता को आहत करने वाले बयान के चलते गिरफ्तार किया जाएगा? वर्तमान में न तो सरकार और न ही भाजपा संगठन ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की है, बल्कि दोनों ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं।
शाह नहीं देंगे इस्तीफा!
विजय शाह ने अब तक अपने पद से इस्तीफा देने से इनकार किया है। इस बीच उनके बेटे दिव्यादित्य और समर्थकों ने सोशल मीडिया के माध्यम से शाह के समर्थन में अभियान तेज कर दिया है। फेसबुक और अन्य सोशल प्लेटफॉर्म पर सेना के साथ विजय शाह की एकजुटता दर्शाने वाली पोस्ट शेयर की जा रही हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव को टैग करते हुए कई तस्वीरें भी सामने आई हैं। यह रणनीति साफ दर्शाती है कि विजय शाह के समर्थक उनके पक्ष में जनमत तैयार करने में जुटे हैं।
कोर्ट लेगी फैसला
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस मसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि चूंकि मामला न्यायालय में लंबित है, इसलिए सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करेगी। इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि सरकार इस मुद्दे पर फिलहाल कोई जल्दबाज़ी में निर्णय नहीं लेना चाहती। दूसरी ओर, विजय शाह ने इस पूरे विवाद पर अब तक चुप्पी साध रखी है। उन्हें पार्टी द्वारा मीडिया से दूरी बनाकर रखने की सलाह दी गई है। वे न तो भोपाल में हैं और न ही अपने गृह क्षेत्र खंडवा में। इससे साफ है कि भाजपा फिलहाल स्थिति पर नजर बनाए हुए है और सार्वजनिक रूप से कोई बयान देने से बच रही है।
क्या कहते है राजनीतिक जानकार
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा आमतौर पर किसी बाहरी दबाव में फैसला नहीं करती। जानकारों ने प्रज्ञा ठाकुर के पुराने बयान का उदाहरण देते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके विवादित बयान की निंदा तो की थी, लेकिन पार्टी ने कोई त्वरित कार्रवाई नहीं की थी। हालांकि बाद में उन्हें टिकट न देकर संकेत दे दिया गया था। यही स्थिति विजय शाह के मामले में भी देखी जा सकती है।
आदिवासी वोट बैंक हैं अड़ंगा?
एक वर्ग का मानना है कि भाजपा आदिवासी वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए शाह के खिलाफ सीधे कार्रवाई से बच रही है। शाह का आदिवासी समुदाय से होना भाजपा के लिए राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामला है। हालांकि पार्टी के भीतर और जनता में उनके बयान को लेकर नाराजगी भी देखी जा रही है। वहीं, शाह के समर्थकों का यह तर्क है कि अन्य मंत्रियों जैसे प्रहलाद पटेल या दूसरे नेताओं पर भी विवादित टिप्पणियों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई थी, तो फिर सिर्फ विजय शाह को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है? समर्थक यह भी कहते हैं कि शाह अपने बयान पर सार्वजनिक रूप से माफी मांग चुके हैं, इसलिए अब इस मुद्दे को तूल देना उचित नहीं है। कुल मिलाकर, भाजपा और सरकार दोनों 'वेट एंड वॉच' की स्थिति में हैं और 19 मई को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही आगे की रणनीति तय की जाएगी।