रिपोर्टर - जीवानंद हलधर, जगदलपुर। बस्तर में मनाए जाने वाले विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व की एक और महत्वपूर्ण मावली परघाव की रस्म नवरात्रि के नवमी के दिन आज मनाया गया। मावली माता और दंतेश्वरी देवी के मिलन की इस रस्म को जगदलपुर दंतेश्वरी मंदिर परिसर के कुटरूबाढ़ा में सम्पन्न किया गया।
बड़ी संख्या में उमड़ा जनसैलाब
परंपरा अनुसार इस रस्म में दंतेवाड़ा से मावली देवी की छत्र और डोली को जगदलपुर के दंतेश्वरी मंदिर लाया जाता है, जिसका स्वागत बस्तर के राज परिवार और बस्तरवासियों के द्वारा कर धूमधाम से पर्व मनाया गया। नवरात्रि के नवमी के दिन मनाए जाने वाले इस रस्म को देखने इस साल बड़ी संख्या में जनसैलाब उमड़ा था।
600 सालों से मनाया जा रहा रस्म
शुक्रवार देर रात दंतेवाड़ा से पहुंची मावली माता की डोली और छत्र का बस्तर के राजकुमार ने भारी आतिशबाजी और फूलों से भव्य स्वागत किया। दंतेश्वरी मंदिर के परिसर में मनाए जाने वाली इस रस्म को देखने हजारों की संख्या में हर साल लोग पहुंचते हैं। मान्यता के अनुसार 600 सालों से इस रस्म को धूमधाम से मनाया जाता है। बस्तर के महाराजा रुद्र प्रताप सिंह डोली का भव्य स्वागत करते थे। यह परंपरा आज भी बस्तर में बखूबी निभाई जाती है और अब बस्तर के राजकुमार कमलचंद भंजदेव इस रस्म की अदायगी करते हैं।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
इस रश्म में स्थानीय जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी सभी का भरपुर सहयोग रहता है साथ ही सुरक्षा के पुख्ता इन्तेजाम भी किये जाते हैं। पर्व के मद्देनजर लगभग 2 हजार पुलिस बल तैनात किया गया है।