भोपाल | चिकित्सा शिक्षा विभाग जूनियर डॉक्टरों के बार-बार हड़ताल पर जाने का स्थाई समाधान निकालने में जुट गया है। अधिकारियों का कहना है कि प्रवेश के समय ही छात्रों से यह अंडरटेकिंग ली जाएगी कि वे हड़ताल पर नहीं जाएंगे और यदि गए तो उनसे निजी मेडिकल कॉलेजों में लगने वाली लगभग दस लाख रुपए फीस वसूली जाएगी।
सरकारी कॉलेजों में 50 हजार रुपए फीस लगती है। इसमें भी मेधावी छात्र योजना, अनुसूचित जाति-जनजाति छात्र प्रोत्साहन योजना और संबल योजना के तहत पूरी या आधे से ज्यादा फीस सरकार द्वारा दी जा रही है। जूनियर डॉक्टरों व कर्मचारियों की हड़ताल तोड़ने के लिए सरकार ने सख्त कदम उठाया है।
हड़ताल करने वाले जूनियर डॉक्टरों का पंजीयन रद्द करने के लिए मप्र मेडिकल काउंसिल को पत्र लिखा जाएगा। निशांत वरवड़े, आयुक्त, चिकित्सा शिक्षा विभाग का कहना है कि हड़ताल करने वाले पीजी छात्रों से छात्रावास खाली कराने के साथ यदि नहीं मानें तो गिरफ्तारी जैसी कार्यवाही करने से भी गुरेज न किया जाए। जूनियर डॉक्टर छात्र हैं न कि सरकारी सेवक, जो बार-बार हड़ताल करें।
उत्तरप्रदेश व दिल्ली में हड़ताल पर पाबंदी
पीजी पाठ्यक्रम में एक माह पहले प्रवेश लेने वाले छात्रों को एसएमएस के जरिए नोटिस दिए जा चुके हैं कि अगर आप हड़ताल करेंगे तो आपके खिलाफ कार्यवाही की जा सकती है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि उत्तरप्रदेश और दिल्ली हाईकोर्ट डॉक्टरों की हड़ताल पर पहले ही पाबंदी लगा चुकी है। जूनियर डॉक्टरों का पहला काम मरीज को देखना है। मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं होगा।