भोपाल। मध्य प्रदेश में बैंक अफसरों ने भ्रष्टाचार का एक नया तरीका खोज निकाला है। मरे हुए बैंक खाता धारकों के नाम से किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाई और लाखों रुपए निकाल लिए। इसी तरह मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में भी लाखों रुपए बिना नियम के जारी कर दिए साल 2018 से लेकर 21 के बीच में बैंक अधिकारियों ने 98 लाख 39 से अधिक रुपयों का बंदरबांट कर लिया। खास बात है कि कई अधिकारियों ने अपनी पत्नी और रिश्तेदारों के नाम पर मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत लाखों रुपए जमा करा दिए।
अधिकारियों ने बैंक के नियमों का भी पालन नहीं किया
इस फजीर्वाड़े की जांच करते हुए ईओडब्ल्यू ने बैंक अधिकारियों के अलावा 13 अन्य लोगों पर भी मामला दर्ज किया है। बैंक के साथ धोखाधड़ी और आर्थिक अनियमिता के तहत एफआईआर दर्ज की है। अधिकारियों ने बताया कि बैतूल के घोड़ा डोंगरी के सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया का मामला है। बैंक की ओर से जांच के बाद अधिकारियों ने हाल ही में रकम जमा कराई है। तत्कालीन बैंक मैनेजर पियूष सोनी ने अपने बचत खाते से 89 लख रुपए जमा किए हैं। इसके अलावा दीपक सोलंकी ने भी 3 लाख से अधिक की रकम जमा कराई है। हालांकि बैंक ने स्पष्ट किया है कि अधिकारियों की वजह से बैंक को 34 लाख 60 हजार रुपए का नुकसान हुआ है। इसके साथ ही अधिकारियों ने बैंक के नियमों का भी पालन नहीं किया।
साल 2018 से साल 2021 तक बैंक को गुमराह करते हुए निकाली रकम
इस फजीर्वाड़े की जांच करते हुए ईओडब्ल्यू ने बैंक अधिकारियों के अलावा 13 अन्य लोगों पर भी मामला दर्ज किया है। बैंक के साथ धोखाधड़ी और आर्थिक अनियमिता के तहत एफआईआर दर्ज की है। अधिकारियों ने बताया कि बैतूल के घोड़ा डोंगरी के सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया का मामला है। बैंक की ओर से जांच के बाद अधिकारियों ने हाल ही में रकम जमा कराई है। तत्कालीन बैंक मैनेजर पियूष सोनी ने अपने बचत खाते से 89 लख रुपए जमा किए हैं। इसके अलावा दीपक सोलंकी ने भी 3 लाख से अधिक की रकम जमा कराई है। हालांकि बैंक ने स्पष्ट किया है कि अधिकारियों की वजह से बैंक को 34 लाख 60 हजार रुपए का नुकसान हुआ है। इसके साथ ही अधिकारियों ने बैंक के नियमों का भी पालन नहीं किया।
ऐसे चला फजीर्वाड़े का सिलसिला
शिकायत की जांच में ईओडब्ल्यू ने पाया कि 81 खातों में से 17 किसने की मौत हो चुकी थी। 64 किसानों ने किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने से इनकार कर दिया था। इसके बाद भी अधिकारियों ने बिना सहमति किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाई। इसके बाद किसने के किसानों के अंगूठे लगा कर रकम को निकाल लिया गया, जबकि नियम है कि बैंक में अंगूठे की जगह साइन से ही पैसे निकाले जा सकते हैं। जांच में यह भी पाया गया कि जिन मोबाइल नंबरों के जरिए रकम निकाली गई है। अधिकांश एक ही नंबर पर रजिस्टर्ड थे और फर्जी अंगूठे को लगाकर बैंक के साथ अधिकारियों ने ही धोखाधड़ी की है। वहीं उन्होंने अब फर्जी साइन भी किसानों की जगह किए। इसके लिए अधिकारियों ने अतिरिक्त चेक बुक इशू करके रकम को ट्रांसफर कराया। वहीं मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के जरिए खातों में लोन की रकम जारी की गई।
इन बैंक अधिकारियों के खिलाफ दर्ज किया मामला
ईओडब्ल्यू ने तत्कालीन बैंक मैनेजर पियूष सैनी, सहायक प्रबंधक दीपक सोलंकी, कैशियर राजेश, दिलीप यादव बैंक कॉरस्पॉडेंट सहित 13 लोगों को बैंक के साथ धोखाधड़ी और नियमों के उल्लंघन के मामले में आरोपी बनाया है। अधिकारियों ने बताया कि सहायक शाखा प्रबंधक दीपक सोलंकी ने लोन की राशि को सेंट्रल बैंकिंग सिस्टम में दर्ज नहीं किया। इसके अलावा चेक बुक में खाता धारक का नाम और खाता नंबर भी दर्ज नहीं किया। फिर दूसरे अकाउंट नंबर की एंट्री कर बैंक से रकम ट्रांसफर कर ली।