भोपाल : मुस्लिम धर्म में ईद बड़े ही धूम धाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन मुसलमान समाज के लोग बकरे की कुर्बानी देते है और त्योहार मानते है। बकरीद केवल कुर्बानी का त्योहार नहीं है, बल्कि यह त्याग, बलिदान, और अल्लाह के प्रति समर्पण का प्रतीक है। इस दिन मुसलमान सुबह की नमाज अदा करते हैं और फिर जानवरों की कुर्बानी देते है। ऐसे में भरता में ईद कब मनाई जाएगी। इसको लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है। लेकिन कब तारीखों का खुलासा हो गया है कि भारत में ईद इस साल 7 जून को मनाई जाएगी।
सऊदी अरब में 6 जून को मनाया जाएगा त्योहार
बता दें कि सऊदी अरब में बीते मंगलवार शाम चांद दिखने के बाद पवित्र इस्लामी महीना जिल्हिज्जा शुरू हो गया है, जिससे यह तय हो गया कि ईद-उल-अज़हा यानी बकरीद 2025 भारत में 7 जून को मनाई जाएगी। जबकि सऊदी अरब में यह त्योहार एक दिन पहले, यानी 6 जून को मनाया जाएगा।
क्यों मनाया जाता है बकरीद का पर्व?
इस पर्व की शुरुआत एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक घटना से जुड़ी है. इस्लामिक मान्यता के अनुसार, अल्लाह ने हजरत इब्राहिम की आस्था की परीक्षा लेनी चाही और उन्हें अपनी सबसे प्यारी चीज कुर्बान करने का हुक्म दिया. हजरत इब्राहिम के लिए उनका बेटा हजरत इस्माइल सबसे प्रिय थे. अल्लाह के हुक्म को मानते हुए, उन्होंने अपने बेटे की कुर्बानी देने का निर्णय लिया. लेकिन जब उन्होंने अपने बेटे के गले पर छुरी चलाई, तो अल्लाह ने एक चमत्कार कर दिया. हजरत इस्माइल की जगह एक जानवर कुर्बान हुआ. इसी घटना की याद में बकरीद पर कुर्बानी दी जाती है.
ईद-उल-फितर कैसे मनाते हैं?
- ईद-उल-फितर खुशियों, मोहब्बत और आपसी भाईचारे का त्योहार है। इस खास दिन की शुरुआत सुबह जल्दी उठकर नहाने और नए कपड़े पहनने से होती है। इसके बाद लोग मस्जिदों और ईदगाहों में जाकर ईद की नमाज अदा करते हैं। नमाज के बाद एक-दूसरे को गले लगाकर मुबारकबाद देते हैं और रिश्तों में और मजबूती लाते हैं।
- ईद को मीठी ईद भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन घर-घर में सेवइयां और स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं। दोस्त, रिश्तेदार और पड़ोसी एक-दूसरे के घर जाते हैं, मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं और साथ मिलकर खुशियां मनाते हैं।
- इस दिन बच्चों के लिए सबसे खास चीज़ होती है ईदी, जो बड़े अपने छोटे भाइयों, बहनों या रिश्तेदारों को पैसे या तोहफे के रूप में देते हैं। ईद का असली उद्देश्य सिर्फ खुद खुश होना नहीं, बल्कि जरूरतमंदों की मदद करना भी है। इसलिए लोग फितरा (दान) देकर गरीबों और बेसहारा लोगों को भी इस खुशी में शामिल करते हैं।