रिपोर्टर : गौरव शर्मा
रायपुर: छत्तीसगढ़ में सीजीएमएससी का नया कारनामा एक बार फिर चर्चा में है. सीजीएमएससी ने प्रदेश के सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 650 करोड़ की ऐसी दवाओं की आपूर्ति कर दी, जिसकी वहां जरूरत ही नहीं है. अब ये सभी दवाएं प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में बेकार हो रही हैं. inh 24x 7 और हरिभूमि ने प्रदेश के स्वास्थ्य केंद्रों में पहुंचकर इन दवाओं के संबंध में पड़ताल की.
पड़ताल में सामने आये ये तथ्य :
छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन का विवादों से काफी पुराना नाता है. प्रदेशभर के सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में गैरजरूरी दवाओं की आपूर्ति को लेकर सीजीएमएससी फिर विवादों में है. सीजीएमएससी ने प्रदेश के 170 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और 750 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में ऐसी दवाओं की आपूर्ति की है. जिसकी इन अस्पतालों में जरूरत ही नहीं है. इनमें हार्ट के ब्लॉकेज खोलने के काम आने वाली मोक्षित कंपनी की रीएजेंट से लेकर इसी कंपनी की मेडिकल किट और हिमोग्लोबिन की जांच करने वाली लेंससेट भी शामिल है. हैरानी की बात यह भी है कि इन दवाओं की एक्सपायरी डेट भी सितंबर 2024 और दिसंबर 2024 में खत्म हो जाएगी. इसके बाद ये करोड़ों की दवाएं किसी काम की नहीं रह जाएंगी. विभागीय सूत्रों के मुताबिक 100 करोड़ की दवाएं सितंबर 2024 में एक्सपायर हो जाएंगी. जबकि 200 करोड़ की दवाएं दिसंबर 2024 में खत्म हो जाएंगी. इससे पहले हरिभूमि और आईएनएच 24-7 ने प्रदेश के विभिन्न सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पहुंचकर यह जानने की कोशिश की है कि वहां क्या वस्तुस्थिति है. आखिर कैसे बगैर जरूरत के ही रीएजेंट से लेकर मेडिकल किट की आपूर्ति की गई है. दूरदराज के क्षेत्र तो दूर राजधानी रायपुर में भी जबरन सामानों की आपूर्ति की गई है.
inh 24x7 और हरिभूमि ने रायपुर के स्वास्थ्य केंद्रों में की रियलिटी चेक:
inh 24x7 और हरिभूमि ने रायपुर के स्वास्थ्य केंद्रों में रियलिटी चेक की तो ये इन बातों का खुलासा हुआ है ...
1 कई केंद्रों में सैकड़ों की संख्या में रीएजेंट और गैरजरूरी दवाओं, उपकरणों की आपूर्ति
2अधिकतर दवाओं की एक्सपायरी डेट सितंबर और दिसंबर 2024 में
3 कई केंद्रों में मेडिकल किट और मशीनों की आपूर्ति, मगर उपयोग नहीं
4 विभाग को जानकारी देने के बाद भी न वापस नहीं ले रहे, महीनों से स्टोर में डंप
5 भनपुरी में 6 माह पहले किट दिया पर उपयोग की ट्रेनिंग अब तक नहीं
6 उरला स्वास्थ्य केंद्र ने रीएजेंट वापस देने कई पत्र लिखे, लेकिन वापस नहीं लिया
7 सीजीएमएससी के फोर्स मैकेनिज्म से राजधानी के स्वास्थ्य केंद्र हलाकान
मोक्षित कंपनी की 33 बॉक्स भनपुरी में भेजी गई:
राजधानी के भनपुरी में मोक्षित कंपनी की 33 बॉक्स ब्लड लेंससेट भेजी गई है. फार्मासिस्ट एसके साहा के मुताबिक एक बॉक्स में 100 पीस लेंससेट है, जिससे हिमोग्लोबिन की जांच की जाती है. उन्होंने बताया कि इसकी आपूर्ति बगैर डिमांड के ही की गई है. इसके साथ ही हिमोग्लोबिन जांच की मशीन की भी आपूर्ति की गई है. इसकी ट्रेनिंग दी जानी थी, लेकिन कई माह बीत जाने के बावजूद ट्रेनिंग नहीं दी जा सकी है. हाल यह है कि अस्पताल के स्टोर में यह डंप पड़ा है. मोक्षित कंपनी को कई बार कहा, लेकिन ट्रेनिंग अब तक नहीं दी जा सकी है.
उरला के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 36 दवाई बगैर डिमांड के:
भनपुरी में पड़ताल करने के बाद हमारी टीम उरला के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची. यहांं भी बड़े पैमाने पर रीएजेंट की आपूर्ति सीजीएमएससी ने कर दी है. यहां कुल 36 सामानों की बगैर डिमांड ही आपूर्ति की गई है. हमने आपूर्ति रजिस्टर की पड़ताल की तो जानकारी सामने आई कि मोक्षित कंपनी की रीएजेंट के साथ ही मेडिकल किट, एसजीओटी किट, एसजीपीटी किट, मैग्निशियम जैसी कई उपकरण और दवाएं दे दी गई है. यहां 30 बॉक्स रीएजेंट आया है. इसकी भी एक्सपायरी सितंबर 2024 में होने जा रही है. फार्मासिस्ट आकृति सर्वे ने बताया कि कई ऐसी दवाएं दे दी गई हैं, जिसकी जरूरत ही नहीं हैं. इसके संबंध में जानकारी सीएमएचओ और सीजीएमएससी को भी दे दी गई है..... इसके बावजूद अब तक इसे वापस नहीं लिया गया है.
बीरगांव में भी मोक्षित कंपनी के सामानों की आपूूर्ति:
भनपुरी और उरला की ही तरह बीरगांव में भी सीजीएमएससी ने मोक्षित कंपनी के सामानों की आपूूर्ति की है. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बीरगांव की प्रभारी डॉ. ए. कुमार ने जानकारी दी कि उनके केंद्र में सीबीसी जांच मशीन एक नग दी गई है. साथ ही हिमोग्लोबिन जांच की 4 नग मशीनें दी गई हैैं. हालांकि यहां दिए गए सभी सामानों का उपयोग किया जा रहा हैै. इसी तरह मंदिर हसौद के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 500 नग मोक्षित कंपनी का रीएजेंट की आपूर्ति की गई है, जिसका एक्सपायरी डेट सितंबर 2024 में है. इसके साथ ही 1000 नग लेंससेट, 14 सीबीसी जांच किट के साथ ही एक फ्रीज की भी आपूर्ति की गई है. यहां भी फार्मासिस्ट नवीन नागतोड़े दावा करते हैं कि इनका उपयोग लगातार किया जा रहा है.
जहां आवश्यकता वहां डिमांड के बाद भी नहीं होती आपूर्ति :
प्रदेश के कई स्वास्थ्य केंद्र ऐसे भी हैं, जहां आवश्यक दवाओं की कमी है. बार डिमांड भेजने के बाद भी आपूर्ति नहीं की जा रही है. दूसरी ओर सीजीएमएससी एक ही कंपनी की कई दवाओं को बगैर मांगे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचा रहा है. ऐसे में इसके कारणों को लेकर महालेखाकार द्वारा उठाए गए सवाल जायज तो नजर आते ही हैं. इस मामले की उच्चस्तरीय जांच और दाेषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी आवश्यक हो जाती है. अब इस मामले में प्रदेश का स्वास्थ्य अमला और सीजीएमएससी के द्वारा दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है, इस पर निगाह बनी रहेगी.