भोपाल। राजधानी में बार-बार मौसम बदलने से एक बार फिर डॉग बाइट की घटनाएं बढ़ गई हैं। कभी सर्दी और कभी गर्मी तेज होने से स्ट्रीट डॉग हमलावर हो गए हैं। नगर निगम के वेटरनरी विभाग के अनुसार सर्दी के अलावा गर्मी में भी इनसे बचकर रहना जरूरी है, लेकिन इनकी आबादी रोकना जरूरी है। नवंबर से फरवरी माह तक डॉग का ब्रीडिंग का समय रहता है। इस दौरान स्ट्रीट डॉग आक्रामक होते हैं, जिनकी नसबंदी नहीं हुई है।
रोजाना डॉग बाइट की 40 से 50 घटनाएं हो रही हैं, लेकिन निगम के कंट्रोल रूम में शिकायत दर्ज न होने से संख्या का सही आंकलन नहीं हो पा रहा है। वेटरनरी डाक्टरों के अनुसार इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए भोपाल में 3 एबीसी सेंटर की जगह 9 बनाना होंगे। इसका प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया है, क्योंकि स्ट्रीट डॉग की बढ़ती जा रही आबादी को रोकना संभव नहीं है। केंद्र सरकार की गाइड लाइन के अनुसार भोपाल में कम से कम 9 एबीसी सेंटर होना चाहिए। निगम अधिकारियों के अनुसार 3 एबीसी सेंटर में हर साल 20 हजार आवारा कुत्तों की नसबंदी हो रही है।
हर वार्ड के बीच में एक एबीसी सेंटर होना चाहिए
राजधानी में कम से कम 9 एबीसी सेंटर होना चाहिए, क्योंकि केंद्र सरकार की गाइड लाइन के अनुसार हर वार्ड के बीच में एक एबीसी सेंटर होना चाहिए। इसको लेकर केंद्र सरकार के पास नए एबीसी सेंटर बनाने प्रस्ताव भेजा है।
डॉ. बीपी सिंह, वेटनरी चिकित्सक नगर निगम
केंद्र के पास भेजा एबीसी सेंटर का प्रस्ताव
इस समय आवारा कुत्तों की आबादी 1 लाख 20 हजार है। अगर नसबंदी की यही गति रही तो बढ़कर संख्या दो गुनी हो जाएगी। क्योंकि एक साल में दो बार इनके बच्चे होते है। एक फीमेल स्ट्रीट डॉग 8 बच्चे जन्म देती है। अगर रोकथाम नहीं लगी तो एक साल में संख्या ढाई लाख के करीब हो जाएगी। रोकथाम सिर्फ 20 हजार की हो पा रही है। इसलिए केंद्र सरकार के पास प्रस्ताव भेजकर कम से कम 9 एबीसी सेंटर बनाने के लिए कहा गया है।