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गर्ल्स काॅलेज के तीन प्रिंसिपलों की लापरवाही छात्राओं पर पड़ी भारी, अब उठ रही संस्पेंड करने की मांग

गर्ल्स काॅलेज के तीन प्रिंसिपलों की लापरवाही छात्राओं पर पड़ी भारी, अब उठ रही संस्पेंड करने की मांग

भोपाल। शहर के गीतांजलि, नूतन और एमएलबी काॅलेज की छात्राओं पर उन्हें के प्रिंसिपलों की लापरवाही पड़ी भारी पड़ती नजर आ रही है। प्रिसिंपलों की एक लापरवाही की वजह से अब उन्हीं के अधिकारी उन्हें संस्पेंड करने की आवाज उठाते नजर आ रहे हैं।

गर्ल्स कॉलेजों गीतांजलि, नूतन और एमएलबी कॉलेज की प्रिंसिपल की लापरवाही का खामियाजा अब छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है। छात्राओं ने एडमिशन लेते समय निर्धारित नामांकन शुल्क 295 रुपए जमा कर दिया था। लेकिन कॉलेज की लापरवाही से यह बीयू नहीं भेजा गया।

इस कारण छात्राएं जनरल प्रमोशन में आगामी सत्र में प्रमोट नहीं हो पा रही हैं। अब नामांकन के लिए छात्राओं को न केवल बीयू के चक्कर काटने पड़ रहे हैं बल्कि एक हजार रुपए विलंब शुल्क भी चुकाने पड़ रहे हैं।

गीतांजलि की छात्राओं पर बढ़ रहा आर्थिक बोझ

गीतांजलि कॉलेज से बीयू पहुंची एक छात्रा ने बताया कि उसकी सालाना फीस 900 रुपये है। उसने नामांकन के लिये 1295 रुपये जमा किये है। इसमें 295 रुपये नामांकन शुल्क है और एक हजार रुपये विलंब शुल्क है। छात्रा ने गत वर्ष प्रवेश लिया था। इस दौरान उससे नामांकन शुल्क भी लिया गया था। शुल्क लेने के बाद प्राचार्य डॉ. अल्का डेविड ने उनको नामांकन शुल्क बीयू में जमा नहीं किया है। इसके चलते उसका नामाकन नहीं हो सका है। यही स्थिति नूतन कालेज की प्राचार्य प्रतिभा सिंह और एमएएलबी कॉलेज की तत्कालीन प्राचार्य निशा पल्लीवाल ने भी अपने कॉलेज में बनाई है। तीनों कॉलेजों की छात्राएं बीयू में नामांकन कराने पहुंच रही हैं।

गाइडलाइन भी जारी की, फिर भी गलती कर बैठे, अब छुपा रहे

बीयू और उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि विद्यार्थियों का नामांकन कराने का दायत्व प्राचार्य का है। यह सूचना गाइडलाइन तक में दी गई है। इसके बाद भी प्राचार्य विद्यार्थियों को बीयू भेज देते हैं, ताकि वे अपनी जिम्मेदारी से बच सकें। वे अपनी गलतो विद्यार्थियों पर थोपते हैं। जबकि उन्हें प्रवेश के बाद नामांकन शुल्क बीयू भेजकर नामांकन लेने की प्रक्रिया पूर्ण करना चाहिए। विद्यार्थी एक साल बाद बीयू पहुंचकर नामांकन करा रहे हैं, जिसके कारण उन्हें एक हजार रुपये का विलंब शुल्क देना पड़ रहा है। जबकि ये शुल्क कालेज की गलती होने के कारण कालेज के खाते से जमा होना चाहिए।

अब अधिकारी उठा रहे प्रिंसिपलों को सस्पेंड करने की मांग

बीयू और विभाग अधिकारियों का कहना है कि शासन छात्राओं को निशुल्क प्रवेश दे रही है। उनके परिवार पर किसी भी प्रकार का आर्थिक बोझ नहीं बढ़े इसके लिए सभी इंतजाम किये जा रहे है। छात्राओं को आर्थिक रूप से बोझ डालने वाले प्राचार्यों पर निलंबन की कारवाई होना चाहिए।


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