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भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा को लेकर जारी गतिरोध, रविवार को हुई नौवें दौर की बातचीत

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा को लेकर जारी गतिरोध, रविवार को हुई नौवें दौर की बातचीत

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा को लेकर गतिरोध जारी है। इस बीच करीब ढाई महीने के बाद दोनों सेनाओं में रविवार को नौवें दौर की बातचीत हुई। 1 घंटे से ज्यादा समय तक चली मीटिंग में भारत ने एक बार फिर साफ कर दिया कि चीन को पूरी तरह से पीछे हटना ही पड़ेगा और यहां पर तनाव कम करने की पूरी जिम्मेदारी चीन पर ही है। कोर कमांडर स्तर की इस मीटिंग का मुख्य उद्देश्य पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पर आगे बढ़ना था। बता दें कि गतिरोध के हल के लिए दोनों देशों के बीच कई दौर की मीटिंग में कोई ठोस नतीजा हाथ नहीं लगा है।

बताया जा रहा है कि नौवें दौर की बैठक में बातचीत का मुख्य उद्देश्य पिछली बैठक में बनी सहमतियों पर आगे बढ़ना था। यह तय किया जाना था कि दोनों देश किस प्रकार से अपने सैनिकों को टकराव वाले स्थानों से पीछे हटाएं। इसकी एक रुपरेखा पिछली बैठक में बनी थी, लेकिन अभी तक उसका क्रियान्वयन नहीं हुआ है।

सेना से जुड़े सूत्रों ने बताया कि रविवार को बातचीत चीन सीमा में पड़ने वाले मोल्डो में सुबह दस बजे शुरू हुई, जो देर रात तक चली। यानी कुल करीब 15 घंटे तक बातचीत हुई। इसमें भारत का नेतृत्व लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टनेंट जनरल पीजीके मेनन ने किया, जबकि चीन की तरफ से तिब्बत क्षेत्र के कमांडर मेजर जनरल लियू लिन शामिल हुए।

पिछली बैठक छह नवंबर को हुई थी, जिसमें टकराव वाले स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने पर चर्चा हुई थी और इसका मोटा खाका भी तैयार किया गया था। इसके तहत पहले चरण में दोनों देशों के टैंक, तोप आदि हथियार हटाए जाने थे। दूसरे चरण में चीन को पेंगोंग त्सो के फिंगर-8 तक पीछे हटना था। वहीं, भारत को फिंगर-2 तक पीछे आना था। तीसरे चरण में पूरी तरह से मई से पहले की स्थिति बहाल करने पर बात हुई थी।


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