बिलासपुर : आज योग 170 से अधिक देशों में प्रचलित है। योग का विश्व के 85% से अधिक क्षेत्र में अभ्यास किया जाता है। भारत ने योग के माध्यम से जो अमूल्य स्वास्थ्य और कल्याण की धरोहर विश्व को प्रदान की है, वह आज वैश्विक स्तर पर सराही जा रही है। बीते दस वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस ने असाधारण लोकप्रियता और व्यापकता हासिल की है, और आज योग न केवल भारत की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुका है।
विश्व भर में योग की बढ़ती लोकप्रियता :
अमेरिका, चीन, ऑस्ट्रेलिया, वियतनाम, ब्रिटेन, जर्मनी में योग की कक्षाओं में होने वाली युवाओं की भीड़ यह साबित करती है कि अब योग वहां एक नया दौर शुरू कर चुका है। योग ने धर्म ने बंधन को भी तोड़ा है। वर्तमान में योग से हिंदूओं के साथ ही मस्लिम, ईसाई और दूसरे समूदाय के लोग भी जुड़ रहे हैं। यही नहीं ॐ का उच्चारण भी किया जा रहा है। अधिकांश भारतीय भी जो विदेशों में बस गए हैं, वे भी नियमित तौर पर अपने घरों में परिवार के साथ को कम्यूनिटी के साथ योग करते हैं। योग कक्षाओं का अंत प्रार्थना और नमस्ते के रूप में किए गए अभिवादन से होता है। कई बार ध्यान साधना के दौरान ओम मंत्र का जाप किया जाता है।
इंटरनेशनल योग डे पर त्यौहार जैसा माहौल :
बिलासपुर के मयंक दुबे अमेरिका के नार्थ कैरोलिना में हैं। वे सिंटेल इंडिया में साफ्टवेयर इंजीनियर हैं। वे बताते हैं कि योग अब यहां के लोगों की दिनचर्या में शामिल हो गया है। रोजाना की भागदौड़ से समय निकालकर योग करके अपने आप को फिट रखने के लिए लोग ट्रेनर भी रख रहे हैं। परिवार सहित घरों में योग के आसन किए जाते हैं। मयंक के मुताबिक कालोनियों में एक साथ मिलकर लोग योग करते हैं। इंटरनेशनल योग डे पर तो त्यौहार जैसा माहौल होता है। कंपनियों में काम करने वाले सभी स्टाफ चाहे वे हिंदू हो या मुस्लिम या किसी भी धर्म के सभी रोजाना योगा करते हैं।
कुवैत और कैनेडा में भी योग की धूम:
बिलासपुर की श्रीमती नवीना चौहान ठाकुर फिलहाल कुवैत में हैं। अपनी दोस्त रुचिका चंद्राकर के साथ मिलकर योग की कक्षाएं संचालित करती हैं। 100 से अधिक लोग सुबह शाम इस योगा क्लास में शामिल होते हैं। कुवैत में भी योगा आम लोंगों के साथ ही कंपनियां भी अपना रहीं हैं। दुकानों में योगा बुक्स से लेकर योगा मैट्स जैसे तमाम उत्पाद बिक रहे हैं। भारतीय मूल के और विदेशी योगाचार्य पश्चिमी शैली की कसरतों का मिश्रण (फ्यूजन) करके योग की नई-नई विधियां निकाल रहे हैं। कैनेडा में साफ्टवेयर इंजीनियर विकास ठाकुर के अनुसार पश्चिम में योग के माध्यम से शारीरिक और मानसिक शक्ति बढ़ाने पर जोर होता है।
अब बदल रही दूसरे धर्मों की सोच:
पिछले कुछ वर्षों में लगभग 45 मुस्लिम देशों द्वारा योग को अपनाए जाने के बाद, भारतीय मुस्लिम समुदाय की योग को लेकर सोच में सकारात्मक बदलाव देखने को मिला है। कुछ साल पहले दुबई, यूएई में योग पर एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित हुआ था, जिसमें कई अरब देशों ने भाग लिया था। इन देशों ने बेहतर स्वास्थ्य के लिए अपने मुस्लिम नागरिकों से योग अपनाने की अपील की थी। इसका असर भारत के मुस्लिम समाज पर भी पड़ा और योग को लेकर उनके बीच पहले जैसी आपत्तियाँ अब कम होती जा रही हैं। यही कारण है कि बीते कुछ वर्षों में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर मुसलमानों की भागीदारी लगातार बढ़ती नजर आ रही है।
चीन ने योग को तेजी से स्वीकार:
चीन में योग गुरू के रूप में पहचान बना चुके रवि भारद्वाज बताते हैं कि पूरे चीन में योग तेजी से स्वीकार किया जा रहा है। इसके साथ ही कई इस्लामिक देश में भी उनकी शाखाएं हैं जहां योग की ट्रेनिंग देने के लिए जाते हैं। शुरूआत में भाषा की समस्या आती है लेकिन योग की क्रिया की भाषा तो सभी के लिए होती है। वर्तमान में रवि जिलिन प्रांत के चांगचुंग जिले में रहकर लोगों को योग सिखा रहे हैं। रवि ने चीन में ही एक चीनी लड़की से शादी की, जिसको अब वह योगिता बुलाते है। उनका बेटा अमन अब एक साल का हो गया है। रवि इस दौरान वीडियो बनाकर अपने यू-ट्यूब चैनल पर शेयर करता है, जिन्हें लोग काफी पसंद करते हैं।