राजा शर्मा// डोंगरगढ़ : छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ जनपद पंचायत अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत बोरतलाव के बैगा टोला में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत डबरी खनन के लिए 9 लाख रुपए की लागत का काम स्वीकृत हुआ था। मनरेगा में मजदूरों से काम कराना होता है। लेकिन ग्राम पंचायत बोरतलाव के बैगा टोला में अनोखा भ्रष्टाचार देखने को मिला,और खनन के नाम पर जे सी बी मशीन से खुदाई किया जा रहा था। इस भ्रष्टाचार में मजदूरों की संलिप्तता भी सामने खुल कर नज़र आ रही थी।
मजदूरों ने मीडिया को कवरेज से रोका:
इस भ्रष्टाचार में मजदूरों की संलिप्तता भी सामने खुल कर नज़र आ रही थी। कवरेज में गए प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडियाकर्मियों को वीडियो, फ़ोटो नहीं खींचने और समाचार नहीं बनाने की धमकी मजदूर देने लगे, साथ ही मीडिया कर्मियों को चारों तरफ से घेर कर खड़े हो गए। इतना ही नहीं समाचार नहीं चलाने ना बनाने का दबाव देते हुए आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करने लगे बड़ी मुश्किलों से मीडिया कर्मी भीड़ से बाहर निकले। मजदूरों ने तो यह भी बताया कि जमीन पथरीली होने के कारण हम सब मजदूर चंदा करके जे सी बी मशीन लगा कर खुदाई करवा रहे है।
शासन की योजनाओं में हो रहे भ्रष्टाचार:
अगर समाचार चलाओगे तो दुबारा गांव में कदम नहीं रखने की बात भी कही है। ऐसे में मीडिया कर्मी भी सुरक्षित नहीं हैं। जबकि मीडियाकर्मी शासन के योजनाओं में हो रहे भ्रष्टाचार को समाज के बीच धरातल पर पहुंच कर जानकारी को लेकर आते हैं। दोषियों पर कार्रवाई ना होने से ऐसे लोगों का मनोबल अब इतना बढ़ गया है कि मजदूर भी मीडियाकर्मियों को डराने मारने जैसा कृत्य करने में लगे हुए हैं। यह शासन प्रशासन की कमजोरी को दर्शाता हैं।
जनपद पंचायत से मनरेगा कार्य का कोई अनुबंध नहीं:
सरपंच से जब मीडिया ने पूछा कि, मनरेगा काम जो की मजदूरों के बजाए मशीन से क्यों कराया जा रहा है तो जवाब में गोलमोल जवाब देते कहा कि, मेरा डबरी खनन में कोई हस्तक्षेप नहीं है। जनपद पंचायत से कार्य एजेन्सी के नाम पर कोई अनुबंध नहीं हुआ है। मनरेगा के तहत डबरी खनन काम को मेट, रोजगार सहायक द्वारा कराया जा रहा है। आपने आप को पूर्ण रूप से निर्दोष बता रहे हैं ये सरपंच महोदय जबकि शासन की इतनी बड़ी राशि का बंदरबांट ग्राम पंचायत के बिना अनुमति से होना अपने आप पर संदेहात्मक है। मनरेगा कार्य चालू करने से पूर्व सरपंच,सचिव, तकनीकी अधिकारी द्वारा ही स्थल का चयन कर प्रस्ताव बना कर किया जाना होता है। सरपंच, सचिव, तकनीकी अधिकारी के बगैर सहयोग से कैसे मनरेगा काम कराया जा सकता है।
क्या कहता है मनरेगा अधिनियम :
इस अधिनियम का उद्देश्य ऐसे प्रत्येक ग्रामीण परिवार जिनके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक श्रमकार्य करना चाहते हैं, को एक वित्त वर्ष में कम से कम 100 दिनों का गारंटीयुक्त मजदूरी रोजगार उपलब्ध कराना है, यह अधिनियम ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब परिवारों की आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना है, जिसके तहत प्रत्येक गरीब परिवार को कम से कम सौ दिन का गारंटीकृत मजदूरी रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा।आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, ठेकेदारी से कार्य कराना और मजदूरों के स्थान पर मशीनरी का उपयोग प्रतिबंधित है। अगर कोई भी ग्राम पंचायत, अधिकारी, कर्मचारी ठेकेदारो या मशीन का उपयोग करता है तो मनरेगा अधिनियम के तहत कठोर से कठोर कार्यवाही का प्रावधान हैं।
दोषियों को नहीं छोड़ा जाएगा: मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी
जनपद पंचायत डोंगरगढ़ के उच्च अधिकारियों के निर्देश पर जांच टीम गठित की गई है। इस रिपोर्ट के आधार पर सिंह का कहना है कि मामला गंभीर होने के कारण संबंधित लोगों पर नियमानुसार करवाई की जाएगी।बहरहाल देखना यह हैं की फिर से अधिकारी जॉच के नाम पर खाना पूर्ति करते हैं की दोषियों पर कठोर कार्यवाही भी करते हैं। यह तो समय बताएगा, प्रशासन की लचर कार्यशैली के कारण ही दोषियों का मनोबल मज़बूत होता है। यही कारण हैं की मीडियाकर्मियों के साथ हुए अभद्रता इसका उदाहरण है। मीडियाकर्मियों ने भी पुलिस अधीक्षक से आ सुरक्षित महसूस करते हुए सुरक्षा की मांग भी किया है।
सत्ताधारी पार्टियों की छबि धूमिल करते हैं भ्रष्ट लोग:
शासन तो गरीबों के लिए योजनाओं को लाती हैं की गरीब मजदूरों का जीविका अच्छे से चले लेकिन धरातल पर बैठे लोग इन योजनाओं की धज्जियां निर्भय एवम् निडरता से उड़ाते हैं इनको पता होता है की कोई कार्यवाही तो होना ही नहीं है। सत्ता में बैठे पार्टियों की छबि होती है खराब इसका मुख्य कारण है दोषियों पर दंडात्मक कार्यवाही नहीं होना।