गोरेलाल सिन्हा/हसन खान। गरियाबंद/मैनपुर : गरियाबंद जिले में कई सरकारी स्कूल ऐसे हैं जिनकी इमारतें अब पूरी तरह जर्जर हो चुकी हैं। इन भवनों में बच्चे रोज़ खतरे के बीच पढ़ाई कर रहे हैं। मैनपुर और छुरा जैसे दूरस्थ व आदिवासी इलाकों में स्थिति और भी खराब है। वहां बच्चों के लिए न तो कोई वैकल्पिक स्कूल भवन है और न ही सुरक्षा के पूरे इंतजाम।
inh-हरिभूमि की टीम ने जब इन स्कूलों का निरीक्षण किया, तो सामने आया कि कई स्कूलों की दीवारों में पानी टपक रही हैं और छतें गिरने की कगार पर हैं। इसके बावजूद बच्चे मजबूरी में वहां पढ़ने आ रहे हैं।
बच्चों की पढ़ाई पेड़ों के नीचे:
गरियाबंद जिले के देवभोग ब्लॉक के कई स्कूल बदहाल हालत में हैं। कई जगह तो स्कूल भवनों की छत ही नहीं बची, जिससे बच्चों को खुले आसमान , पेड़ के नीचे पढ़ाई करनी पड़ रही है।
अतमरा स्कूल में हालात बेहद खराब:
शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय, अतमरा के शिक्षक विनोद ने बताया कि स्कूल की छत से लोहे की सरिए लटक रही हैं, खिड़कियां और दरवाजे टूटकर गिर चुके हैं। बारिश में सभी बच्चों को एक ही सुरक्षित कमरे में किसी तरह बैठाकर पढ़ाया जाता है। कई बार शिकायत की गई, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
हाई स्कूल पाण्डुका की छत तूफान में उड़ गई:
नेशनल हाईवे के नीचे बने हाई स्कूल पाण्डुका की छत तेज हवा और तूफान में उड़ गई। इसकी सूचना शिक्षा विभाग को दी जा चुकी है, लेकिन अब तक मरम्मत का कोई काम शुरू नहीं हुआ है।
जर्जर इमारतों में चल रही है पढ़ाई:
साल 2005 में "सर्व शिक्षा अभियान" के तहत प्राथमिक और मिडिल स्कूलों के लिए करोड़ों रुपए की मंजूरी दी गई थी। इस राशि से स्कूल भवनों और अतिरिक्त कक्षों का निर्माण होना था। लेकिन आज भी कई गांवों में स्कूल भवन अधूरे पड़े हैं।
कुरुभाठा, बरगांव, पायलिखंड और भटगांव जैसे कई गांवों में भवन अब तक पूरे नहीं हुए हैं। अमलीपदर के बाहरापारा में तो हालात और भी खराब हैं — वहां स्कूल के लिए भवन ही नहीं बना, इसलिए बच्चों की पढ़ाई कृषि विभाग की जर्जर इमारत में हो रही है।
45 साल पुराना स्कूल अभी तक निर्माण नहीं :
45 वर्ष पहले शासन प्रशासन द्वारा हायर सेकेंडरी स्कूल गरियाबंद जिले के ब्लॉक् मुख्यालय मैनपुर में खोला गया है। तहसील मुख्यालय मैनपुर का शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है। यह स्कूल वर्ष 1980 में शुरू हुआ था, लेकिन अब तक इसके लिए कोई नया भवन नहीं बनाया गया।
जानकारी के अनुसार, स्कूल परिसर में साल 1990-91 में हाई स्कूल का एक भवन बनाया गया था, जिसमें कुल छह कमरे हैं। अब ये सभी कमरे पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं। बरसात के समय इन कमरों की छत से झरने की तरह पानी टपकता है और पूरा कमरा पानी से भर जाता है। ऐसी स्थिति में बच्चों को बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, लेकिन स्कूल का संचालन इन्हीं खतरनाक हालात में किया जा रहा है।
व्यवस्था को ठीक किया जाएगा : डीईओ
आनंद कुमार जिला शिक्षा अधिकारी साश्वत ने बताया कि गरियाबंद जिले में 972 सरकारी प्राथमिक स्कूल, 443 पूर्व माध्यमिक स्कूल और 151 हाई व हायर सेकेंडरी स्कूल हैं। जिले के स्कूलों में करीब 1 लाख 16 हजार बच्चे पढ़ते हैं। लेकिन अब भी लगभग 36 स्कूल ऐसे हैं जिनकी इमारतें बहुत खराब हालत में हैं।, लेकिन नए शिक्षा सत्र में इनकी हालत सुधारी जाएगी और व्यवस्थाएं ठीक कर दी जाएंगी।