पेंड्रा: छत्तीसगढ़ के पेंड्रा ब्लॉक में 16 जून 2025 को नए शिक्षा सत्र 2025-26 की शुरुआत हुई, लेकिन पहले दिन ही कई स्कूलों में शिक्षकों की लापरवाही सामने आई। युक्तियुक्तकरण के बाद सभी स्कूलों में शिक्षकों की व्यवस्था और बच्चों की दर्ज संख्या तय की गई थी, लेकिन प्राथमिक शाला उरांव पारा खरडी में 16 बच्चे मौजूद थे, पर दोनों शिक्षक गायब थे। सफाई कर्मी ने बताया कि शिक्षक दूसरे स्कूल गए हैं। प्राथमिक शाला अमलीडाड तिलोरा और मिडिल स्कूल का गेट नहीं खुला, क्योंकि चाबी शिक्षकों के पास नहीं थी। प्राथमिक शाला गोढा और रावन टोला दमदम में भी ताले लटके मिले। शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला दमदम में दोपहर 2 बजे से पहले ही ताला लगा था। विकासखंड शिक्षा अधिकारी ने इसे गंभीर लापरवाही बताया और जांच के बाद कार्रवाई का भरोसा दिया। सोशल मीडिया पर वायरल खबरों ने शिक्षा विभाग पर सवाल उठाए हैं।
पहले भी सामने आए लापरवाही के मामले:
पेंड्रा में शिक्षकों की लापरवाही कोई नई बात नहीं है। 2024 में एक गुरुकुल स्कूल में शिक्षकों के गायब होने की खबर वायरल हुई थी, जिससे बच्चों का भविष्य खतरे में दिखा। इसी तरह, 2025 में डिंडौरी, मध्यप्रदेश में स्थानांतरण और संलग्नीकरण में लापरवाही के आरोप लगे। छत्तीसगढ़ में किताबों की कमी ने भी नए सत्र को प्रभावित किया, जहां कई स्कूलों में पाठ्यपुस्तकें नहीं पहुंचीं। पेंड्रा के स्कूलों में शिक्षकों की अनुपस्थिति और ताले लगे होने से अभिभावक नाराज हैं। छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन ने समय पर किताबें न पहुंचने और शिक्षकों की लापरवाही पर सवाल उठाए। बस्तर और सरगुजा में भी युक्तियुक्तकरण के बाद शिक्षक अनुपस्थित पाए गए, जिससे शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं।
जांच और कार्रवाई की मांग:
विकासखंड शिक्षा अधिकारी ने पेंड्रा के स्कूलों में शिक्षकों की गैरमौजूदगी को गंभीर मानते हुए जांच शुरू करने की बात कही है। शिक्षा विभाग ने बिहार में 2025 में सरकारी स्कूलों की जांच के लिए अवर सचिव को जिम्मेदारी दी थी, जिसमें उपस्थिति और शैक्षणिक व्यवस्था की पड़ताल हुई। पेंड्रा में भी ऐसी जांच की जरूरत है। शिक्षक साझा मंच ने युक्तियुक्तकरण नीति की खामियों को उजागर करते हुए कहा कि इससे आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा प्रभावित हो रही है। अभिभावकों और स्थानीय लोगों ने मांग की है कि दोषी शिक्षकों पर सख्त कार्रवाई हो। अगर समय पर कार्रवाई नहीं हुई, तो बच्चों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ेगा। सरकार को चाहिए कि शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए सख्त नियम बनाए और स्कूलों में नियमित निगरानी बढ़ाए