नई दिल्ली। भारत की प्रतिष्ठित कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने “ऑपरेशन सिंदूर” नाम को ट्रेडमार्क कराने के लिए किया गया आवेदन वापस ले लिया है। यह वही नाम है जो हाल ही में पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर की गई सैन्य कार्रवाई के कोडनेम के रूप में सामने आया था।
रिलायंस ने स्पष्ट किया है कि उसका इस नाम को किसी भी व्यावसायिक उद्देश्य के लिए ट्रेडमार्क कराने का कोई इरादा नहीं था और यह कदम एक आंतरिक त्रुटि के कारण उठाया गया।
“ऑपरेशन सिंदूर” पर ट्रेडमार्क आवेदन एक गलती थी: रिलायंस
रिलायंस इंडस्ट्रीज की मीडिया इकाई Jio Studios द्वारा 7 मई 2025 को “ऑपरेशन सिंदूर” नाम से ट्रेडमार्क फाइल किया गया था। कंपनी ने अब कहा है कि यह एक जूनियर कर्मचारी द्वारा बिना अनुमति के गलती से किया गया था, और जैसे ही इस बारे में पता चला, आवेदन तुरंत वापस ले लिया गया।
कंपनी का आधिकारिक बयान:
“ऑपरेशन सिंदूर शब्द अब भारतीय वीरता और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बन चुका है। इसे ट्रेडमार्क कराने का विचार भी हमारी मूल्यों और सिद्धांतों के खिलाफ है। हम सरकार और सशस्त्र बलों के साथ पूरी तरह खड़े हैं।”
कब और कैसे फाइल हुआ था आवेदन?
रिलायंस ने 7 मई 2025 को सुबह 10:42 बजे, ट्रेडमार्क 'क्लास 41' के तहत आवेदन किया था। 'क्लास 41' में मनोरंजन, मीडिया, शिक्षा, सांस्कृतिक और पब्लिशिंग सेवाएं शामिल होती हैं। ट्रेडमार्क पोर्टल के डेटा के अनुसार, उसी दिन अन्य तीन आवेदन भी इसी नाम से फाइल हुए।
अन्य फर्मों ने भी किया आवेदन:
रिलायंस के अलावा, इन लोगों और संस्थाओं ने भी “ऑपरेशन सिंदूर” नाम से ट्रेडमार्क के लिए आवेदन किया: मुंबई के मुकेश चेत्रम अग्रवाल, जम्मू के रिटायर्ड ग्रुप कैप्टन कमल सिंह, और दिल्ली के आलोक कोठारी इन सभी ने भी 'क्लास 41' के अंतर्गत मनोरंजन व मीडिया क्षेत्र में विशेष उपयोग अधिकार मांगे हैं।
क्या है ट्रेडमार्क प्रक्रिया?
ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया इस प्रकार होती है: पहले रजिस्ट्री यह जाँचती है कि नाम पहले से पंजीकृत है या नहीं। कोई ऑब्जेक्शन न होने पर नाम को ट्रेडमार्क जर्नल में प्रकाशित किया जाता है। फिर 4 महीने तक आपत्ति दायर की जा सकती है। इसके बाद ट्रेडमार्क आवेदक के नाम पंजीकृत हो सकता है।