Prem Sagar Reaction On Adipurush: फिल्म 'आदिपुरुष' के रिलीज होने के बाद, उसमें महाकाव्य 'रामायण' के किरदारों और घटनाओं को गलत तरीके से दिखाने के कारण दर्शकों का विरोध बढ़ गया है। रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर ने भी इस विरोध का समर्थन किया है। प्रेम सागर ने एक इंटरव्यू में बताया कि वे फिल्म को अभी तक नहीं देखे हैं, लेकिन उन्होंने फिल्म के टीजर को देखा है। उन्होंने टीजर में दिखाए गए दृश्य के आधार पर यह अनुमान लगाया है कि फिल्मकार ओम राउत ने 'आदिपुरुष' के माध्यम से 'रामायण' को मार्वल की तरफ से बदलने की कोशिश की है।
प्रेम सागर ने अपने इंस्टाग्राम पर भी एक वीडियो पोस्ट की है और उसके साथ एक लंबा कैप्शन भी लिखा है। उन्होंने कहा कि रामानंद सागर के बनाए हुए 'रामायण' की तरह कोई फिल्म भविष्य में भी नहीं बना सकती। उन्होंने बताया कि उनके पिताजी का जन्म रामायण को लिखने के लिए हुआ था और उन्हें रामायण को फिर से लिखने के लिए धरती पर भेजा गया था। वाल्मीकिजी ने इसे छंदों में लिखा था, तुलसीदासजी ने अवध भाषा में लिखा था और प्रेम सागर ने इसे इलेक्ट्रॉनिक युग में लिखा था। उन्होंने कहा कि रामानंद सागर की 'रामायण' एक ऐसा महाकाव्य था जिसे दुनिया ने अनुभव किया है और जिसे लोगों के दिलों में कभी नहीं बदला जा सकेगा।
प्रेम सागर के अनुसार, उनके पिता रामानंद सागर ने भी रामायण बनाई और उन्होंने भगवान राम को समझा। वे कई ग्रंथों को पढ़ने के बाद कुछ मामूली बदलाव किए, लेकिन कभी भी तथ्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं की। प्रेम सागर ने रावण के किरदार के तौर पर सैफ अली खान के काले रंग को लेकर भी बात की। उन्होंने कहा कि रावण बहुत विद्वान और ज्ञानी था और कोई भी उसे खलनायक के तौर पर पेश नहीं कर सकता।
उनके मुताबिक, क्रिएटिव फ्रीडम का गलत इस्तेमाल इस बात को समझने हो सकता है कि आदिपुरुष में रावण को खूंखार खलनायक के तौर पर पेश नहीं किया गया है। रावण के किरदार को रंग देकर प्रेम सागर ने कहा कि उन्हें रावण को उसके वास्तविक स्वरूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।
प्रेम सागर ने यह भी बताया कि आदिपुरुष में क्रिएटिव फ्रीडम की आड़ में कई तथ्यों को बदल दिया गया है। उन्होंने कहा कि अगर आप आज की रामायण बना रहे हैं तो उसे ब्रीच कैंडी और कोलाबा में दिखाएं, इसे सिर्फ भारत में ही नहीं बल्की दुनिया भर में दिखाएं और लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाएं। प्रेम सागर ने इसके आगे कहा कि कृतिवासी और एकनाथ ने भी रामायण लिखी थी, जहां सिर्फ रंग और भाषा को बदला गया था, लेकिन 'आदिपुरुष' ने सारे तथ्यों को बदल दिया है।