Parliament Winter Session LIVE: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी दलों ने जोरदार हंगामा किया। हंगामे के बीच केंद्र सरकार आज एक अहम विधेयक पेश करने जा रही है, जो मौजूदा मनरेगा (MGNREGA) कानून की जगह लेगा। सरकार का दावा है कि यह नया कानून ग्रामीण रोजगार और आजीविका को और मजबूत करेगा, जबकि विपक्ष इसे गरीब विरोधी और संघीय ढांचे पर हमला बता रहा है।
क्या है ‘जी राम जी’ बिल?
सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले इस नए विधेयक का पूरा नाम ‘विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) बिल 2025’ है। इसे शॉर्ट फॉर्म में ‘VB जी राम जी’ कहा जा रहा है। सरकार के अनुसार, इस बिल का उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर बढ़ाना और आजीविका को स्थायी बनाना है।
मनरेगा बनाम जी राम जी बिल: क्या है बड़ा फर्क:
अगर मनरेगा और जी राम जी में तुलना करें तो मनरेगा में 100 दिन गारंटी का प्रावधान है जबकि नए बिल में 125 दिन रोजगार की गारंटी है। मनरेगा में 15 दिनों में मजदूरी भुगतान का प्रावधान था जबकि नए कानून में हर हफ्ते मजदूरी भुगतान का प्रावधान। पहले खर्च सिर्फ केंद्र उठाती थी अब 10 से 40 प्रतिशत तक राज्यों को देना होगा। बुआई और कटाई के समय 60 दिनों तक रोजगार नहीं मिलेगा ताकि खेती के लिए किसानों को मजदूर उपलब्ध हो सके। लेकिन इस नए बिल पर अब समाजवादी पार्टी सवाल उठा रही है।
प्रियंका गांधी का तीखा हमला:
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इस बिल को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा “मुझे नाम बदलने की यह सनक समझ नहीं आती। इसमें बहुत खर्च होता है। मनरेगा ने गरीबों को 100 दिन के रोजगार का अधिकार दिया था। यह बिल उस अधिकार को कमजोर करेगा। सरकार ने दिनों की संख्या तो बढ़ा दी है, लेकिन मजदूरी नहीं बढ़ाई। पहले ग्राम पंचायत तय करती थी कि काम क्या होगा, अब केंद्र तय करेगा – इससे पंचायतों के अधिकार छीने जा रहे हैं।” प्रियंका गांधी ने साफ कहा कि कांग्रेस इस बिल को हर स्तर पर गलत मानती है।
मनीष तिवारी बोले- यह योजना खत्म करने की साजिश:
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि UPA सरकार द्वारा लाई गई मनरेगा देश की सबसे सफल योजनाओं में से एक रही है। उन्होंने कहा “कोविड-19 के दौरान जब लाखों लोग शहरों से गांव लौटे, तब मनरेगा ने उन्हें सुरक्षा दी। यह पूरी तरह केंद्र द्वारा फंडेड योजना थी। अब आप इसका बोझ राज्यों पर डाल रहे हैं, जिससे यह योजना धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी।” उन्होंने बिल के नाम को लेकर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि महात्मा गांधी को भगवान राम से अलग करना दुर्भाग्यपूर्ण है।
समाजवादी पार्टी और विपक्ष के सवाल:
समाजवादी पार्टी समेत अन्य विपक्षी दलों ने नए कानून के कुछ प्रावधानों पर सवाल उठाए हैं, खासकर बुआई और कटाई के समय 60 दिनों तक रोजगार न मिलने का नियम, मजदूरी दर में कोई बढ़ोतरी नहीं होती है, केंद्र सरकार का बढ़ता नियंत्रण विपक्ष का कहना है कि इससे ग्रामीण मजदूरों को नुकसान होगा और खेती-किसानी पर भी असर पड़ेगा।
सरकार का पक्ष:
सरकार का तर्क है कि यह नया बिल ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य के अनुरूप है। 125 दिन की रोजगार गारंटी और साप्ताहिक मजदूरी भुगतान से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। राज्यों की हिस्सेदारी से योजना के बेहतर क्रियान्वयन का दावा किया जा रहा है। मनरेगा की जगह लाया जा रहा ‘जी राम जी’ बिल 2025 संसद और देश की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन गया है। एक तरफ सरकार इसे सुधार और विस्तार बता रही है, तो दूसरी तरफ विपक्ष इसे गरीबों के अधिकारों पर हमला मान रहा है। आने वाले दिनों में इस विधेयक पर संसद के भीतर और बाहर सियासी घमासान और तेज होने की संभावना है।