Train Accident: ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण रेल हादसे ने देश को काफी स्तब्ध कर दिया है। इस हादसे में तीन ट्रेनों की टक्कर हो गई थी और अब तक 288 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 1100 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं। इस हादसे की जांच के लिए एक जांच कमेटी गठित की गई है और रेलमंत्री ने इसकी जल्दी से रिपोर्ट आने का दावा किया है। यह भीषण रेल हादसे को लेकर विपक्ष मोदी सरकार पर हमला कर रहा है और रेल मंत्री को हटाने की मांग कर रहा है।
ममता बनर्जी:
इस दौरान, हमें केंद्र में मोदी सरकार आने से पहले रहने वाले तीन चर्चित रेल मंत्रियों के कार्यकाल में हुए रेल हादसों पर नजर डालनी चाहिए। ममता बनर्जी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री, पहली बार जब रेल मंत्री बनी थीं, उस समय एनडीए की सरकार थी। उन्हें 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रेल मंत्रालय सौंपा था। फिर 2009 में ममता बनर्जी को मंत्रालय संभालने का मौका मिला जब मनमोहन सिंह के नेतृत्व में नेतृत्व वाली यूपीए-2 में मिला। जब ममता बनर्जी रेल मंत्री थी तब 54 रेल दुर्घटनाएं हुई थी और इन हादसों में 1451 लोगों की मौत हो गई थी. इसके साथ-साथ कार्यकाल में ट्रेन डिरेल की 839 घटनाएं सामने आई थीं.
जेडीयू नेता नीतीश कुमार:
बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री और जेडीयू नेता नीतीश कुमार भी अपने पहले कार्यकाल में अटल सरकार के दौरान ही रेल मंत्री बने थे। उनके पहले ही कार्यकाल के दौरान 1999 में गैसल नामक स्थान पर एक बड़ा रेल हादसा हुआ था, जिसमें 285 लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे की जिम्मेदारी को लेकर नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इससे पहले भी केवल दो मंत्रियों ने रेल मंत्रालय से इस्तीफा दिया था। पहले वे लाल बहादुर शास्त्री थे।
2001 में एक बार फिर से नीतीश को रेल मंत्रालय का प्रभार मिला, और वह 2004 तक रहे। उनके कार्यकाल के दौरान 79 रेल एक्सीडेंट हुए, जिसमें 1527 लोगों की मौत हुई। नीतीश के रेल मंत्री रहते हुए, 1000 ट्रेन डिरेलमेंट की घटनाएं हुईं।
लालू प्रसाद यादव:
मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली पहली यूपीए सरकार में लालू प्रसाद यादव को रेल मंत्री नियुक्त किया गया था। उन्होंने पूरे 5 साल के कार्यकाल को सम्पन्न किया। तुलना में, लालू के कार्यकाल में रेलवे में कम हादसे हुए। उनके कार्यकाल में कुल 51 हादसे हुए, जिसमें 1159 लोगों की जान गई। इससे नीतीश और ममता के मुकाबले यह काफी कम था। इसके साथ ही, ट्रेन डिरेल के मामले में भी लालू का कार्यकाल अच्छा रहा। उनके कार्यकाल में केवल 550 ट्रेन डिरेल की घटनाएं हुईं।
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