52 Shaktipeeths 43 Jayanti Shaktipeeths: भारत और बांग्लादेश में शक्ति उपासना के प्रमुख केंद्रों में जयंती शक्तिपीठ का विशेष स्थान है। यह शक्तिपीठ 52 प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है, जहां माता सती की बायीं जंघा (Left Thigh) गिरने की मान्यता है। दिलचस्प बात यह है कि इस शक्तिपीठ के सटीक स्थान को लेकर दो प्रमुख मान्यताएं मिलती हैं एक बांग्लादेश में और दूसरी भारत के मेघालय राज्य में।
1. बांग्लादेश का जयंती शक्तिपीठ (Sylhet, Bangladesh)
सिलहट जिला कनाईघाट उपजिला बौरभाग गाँव, जैंतिया-पुर पहाड़ियों के समीप जयंतिया नदी के तट पर स्थित यह स्थल अत्यंत पवित्र माना जाता है।पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक यह वही स्थान माना जाता है, जहां माता सती की बायीं जांघ/जंघा गिरी थी। जहां पर देवी जयंती शक्ति रूप में विराज मान है, इसके साथ ही जयंतीया परगना में भैरव क्रमदीश्वर (कामदीश्वर) मंदिर भी है जो कालाजोर क्षेत्र खासी पर्वत श्रृंखला के निकट स्थित प्राचीन स्थल माना जाता है।
2. मेघालय का जयंती शक्तिपीठ (Nartiang, Meghalaya, India)
कुछ ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार जयंती शक्तिपीठ का वास्तविक स्थान मेघालय में स्थित माना जाता है। मुख्य स्थान नर्तियांग गाँव पश्चिम जयंतिया हिल्स जिला शिलांग से लगभग 53 किलोमीटर दूरीपर स्थित है, जिसे प्राचीन श्री नर्तियांग दुर्गा मंदिर भी कहा जता है, इसकी आयु लगभग 600 वर्ष मानी जाती है। जो देवी-भैरव स्वरूप शक्ति -देवी जयंती और भैरव-क्रमदीश्वर के रूप पूजे जाते हैं।
जयंती शक्तिपीठ क्यों विशेष:
दो देशों में इसकी मान्यता बांग्लादेश और भारत। दोनों ही स्थानों पर श्रद्धालुओं का गहरा विश्वास। माता सती की जंघा का निपात होने के कारण अत्यंत पावन स्थल।जयंतीया पहाड़ियों और लोकपरंपराओं से इसकी अगाध कड़ी जुड़ी है। जयंती शक्तिपीठ भारत और बांग्लादेश की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक आस्था का प्रतीक है। चाहे सिलहट का प्राचीन मंदिर हो या मेघालय का नर्तियांग शक्तिपीठ दोनों ही जगहों पर माता सती को जयंती शक्ति और शिव को क्रमदीश्वर के रूप में पूजा जाता है। श्रद्धा की दृष्टि से दोनों ही स्थान जयंती शक्तिपीठ के रूप में पूजनीय और मान्य हैं।