अनिल सामंत// जगदलपुर। शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक की भर्ती में भारी अनियमितता देखने को मिल रही है। शैक्षणिक पदों की भर्ती का लिफाफा खुलने के तीन दिन बाद भी साक्षात्कार परिणाम घोषित नहीं किए गए। चयनित लोगों को लिफाफा खुलते ही गुपचुप तरीके से नियुक्ति आदेश देकर पदभार ग्रहण करा दिया गया। साक्षात्कार देने वाले अभ्यर्थी परिणाम जानने के लिए भटक रहे हैं। लेकिन परिणामों को आज तक वेबसाइट में नहीं डाला गया।
शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय बस्तर में सहायक प्राध्यापक नियुक्ति में भारी अनियमितता करने की शिकायत भर्ती में सम्मलित आवेदक अनुपम तिवारी ने लिखित रूप से की है। उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपति के नाम प्रेषित शिकायत में भर्ती प्रक्रिया में भारी धांधली होने और योग्य मेरिट अंक लाने वाले आवेदकों को दरकिनार कर कम अंक के आवेदक की नियुक्ति करने पर कड़ी आपत्ति जताई है। अनुपम तिवारी द्वारा कुलपति के नाम प्रेषित शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि, बस्तर जैसे आदिवासी क्षेत्र में आदिवासी आवेदक को नाट फाउंड सुटेबल कर भर्ती में प्राथमिकता नहीं देने महिला आवेदकों को भी इसमें अवसर नहीं देने पर कड़ी आपत्ति की है।
शिकायतकर्ता ने की हस्तक्षेप की मांग:
शिकायत कर्ता आवेदक अनुपम तिवारी जो स्वयं मेरिट अंको के साथ योग्य अभ्यर्थी हैं। उसके बाद भी भर्ती में उन्हें विश्वविद्यालय प्रबंधन अंधेरा में रखने की आशंका जाहिर की है। शिकायत की प्रतिलिपि उन्होंने प्रधानमंत्री, कुलाधिपति याने राज्यपाल, मुख्यमंत्री, विवि कार्य परिषद के सदस्यों, विधानसभा अध्यक्ष, मुख्य सचिव (छग शासन), संभागायुक्त बस्तर को प्रेषित की है। अनुपम तिवारी की प्रेषित शिकायत में उल्लेख है कि 24 मई 2025 शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय के कार्य परिषद में दस विषयों के चल रहे शैक्षणिक पदों के साक्षात्कार में से पांच विषयों के संपन्न साक्षात्कार का लिफाफा खुला था। जिसके उपरांत 24 मई को ही चहेते चयनितों रशमी देवांगन, दुर्गेश डिकसेना और तुलिका शर्मा को नियुक्ति पत्र देकर गुपचुप तरिके से पदभार ग्रहण करा दिया गया। उललेखनीय है कि इन चयनितों का चयन से पहले ही चयन होने का दावा वायरल हो रहा था। प्रभावित अभ्यर्थी कोर्ट ना जा पाए इसलिए विश्वविद्यालय अवैधानिक साक्षात्कार परिणाम जारी नहीं कर रहा है।
चयन के पूर्व ही चयनितों के नाम वायरल:
शिकायकर्ता का यह भी आरोप है कि विश्वविद्यालय द्वारा 10 विषयों के 59 शैक्षणिक पदों के लिए एक ही विज्ञापन संख्या से विज्ञापन जारी हुआ था। एक ही आरक्षण रोस्टर लगा था। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन चहेतो के चयन परिणाम पूर्व ही नाम वायरल होने से घबराकर आनन- फानन में साक्षात्कार के मध्य में दस विषयों में से मात्र पांच विषयों के लिफाफे कार्य परिषद में सदस्यों को बिना पूरी जानकारी दिए खुलवा लिया गया और प्रभावित लोग कोर्ट ना जा पाए। इसलिए रणनीति बनाकर साक्षात्कार परिणाम की विधिवत सूचना वेबसाइट में नहीं डालकर एकतरफा चहेतो को लिफाफा खुलते ही पदभार ग्रहण करा दिया गया।
परीक्षा परिणाम जानना सभी परीक्षार्थी का अधिकार:
शिकायत कर्ता के मुताबिक किसी भी परीक्षा परिणाम का रिजल्ट जानना परीक्षा में शामिल सभी परीक्षार्थी का अधिकार होता है। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन इतने मनमानी पर उतर आया है कि सिर्फ 10 चयनित को साक्षात्कार परिणाम बताकर अन्य उम्मीदवारों को साक्षात्कार परिणाम ना तो वेबसाइट में बता रहे हैं और ना ही दूरभाष पर डाल रहे हैं। जो कि साक्षात्कार में शामिल आवेदकों के साथ अत्याचार और अन्याय है,जो इस भर्ती में भारी भ्रष्टाचार का प्रमाण है।
लिफाफा खुलने के तत्काल बाद परिणाम सार्वजनिक नहीं किया गया:
शिकायत कर्ता का यह भी आरोप है कि उक्त भर्ती लिफाफा खुलने की जानकारी साक्षात्कार दिए अन्य आवेदकों को 25 मई 2025 को एक दैनिक समाचार पत्र में आधी- अधूरी जानकारी दी गई थी। जिसे प्रकाशित किया गया था, अन्य आवेदक आज तक वेबसाइट में परिणाम देख रहे हैं। लेकिन लिफाफा खुलने के 4 दिन बाद भी विधिवत् साक्षात्कार परिणाम वेबसाइट या अन्य माध्यम में कोई सूचना नहीं डाली गयी है। दूरभाष पर भी विश्वविद्यालय प्रशासन किसी प्रकार की कोई सूचना नहीं दे रहे हैं। जबकि साक्षात्कार दिए आवेदकों को परिणाम जानने का अधिकार है।
आपत्ति का नहीं किया गया निराकरण:
25 मई को दैनिक समाचार में प्रकाशित खबर के आधार पर अन्य आवेदकों द्वारा विश्वविद्यालय प्रशासन को विभिन्न बिंदुओ पर आपत्ति करते हुए बिना परिणाम वेबसाइट पर डाले,और आपत्ति के निराकरण तक अवैधानिक रूप से चयनितों को नियुक्ति आदेश नहीं देने और पदभार ग्रहण नहीं कराने का आवेदन दिया था। ग्रामीण प्रौद्योगिकी के सभी आवेदकों ने निम्न बिंदुओं पर आपत्ति एवं शिकायत किया गया। विश्वविद्यालय को प्रस्तुत शिकायत की पावती भी संलग्न करने की उल्लेख है।
नियुक्ति आदेश जारी, लेकिन विवि की वेबसाइट में जारी नहीं किए गए साक्षात्कार परिणाम:
विदित हो कि 8 मई 2025 को ग्रामीण प्रौद्योगिकी विषय के सहायक प्राध्यापक पद (1 अनारक्षित) के लिए साक्षात्कार संपन्न हुआ था,25 मई को समाचार पत्र से जानकारी प्राप्त हुआ कि ग्रामीण प्रौद्योगिकी विषय में दुर्गेश डिकसेना को सहायक प्राध्यापक पद के लिए नियुक्ति आदेश जारी हो गया है, किंतु आज तक 27 मई 2025 को इस पत्र के पावती तक विश्वविद्यालय द्वारा वेबसाइट या किसी भी माध्यम से साक्षात्कार के परिणाम दर्शित या सूचित नहीं किया गया है। उक्त 8 मई 2025 को आयोजित साक्षात्कार के संबंध में अवैधानिक नियुक्ति की जानकारी भी प्राप्त हुआ है जिस संबंध में आवेदकों द्वारा निम्नलिखित आपत्ति पुनः प्रेषित किया गया।
पात्र आवेदक ने की आपत्ति:
यह कि दिनांक 8 मई 2025 को आयोजित ग्रामीण प्रौद्योगिकी विषय के सहायक प्राध्यापक पद के साक्षात्कार में यूजीसी नियमानुसार 3 विषय विशेषज्ञ होना चाहिए था। लेकिन वहां मात्र 2 विशेषज्ञ थे, जो कि बायो टेक्नोलॉजी और कला संकाय से थे। इसका मतलब यूजीसी नियमानुसार एक भी विशेषज्ञ ग्रामीण प्रौद्योगिकी विषय से नहीं थे। यह कि ग्रामीण प्रौद्योगिकी विषय के उक्त दिनांक के साक्षात्कार में संकाय अधयक्ष, विभागाध्यक्ष का भी कोरम नहीं था।
साक्षात्कार में महिला आवेदक को दरकिनार किया गया:
साक्षात्कार में महिला आवेदक थे, लेकिन चार सदस्यीय चयन कमेटी मे एक भी महिला सदस्य नहीं थी। नियमानुसार एक महिला सदस्य भी होना चाहिए था। कुल 4 सदस्यों द्वारा साक्षात्कार लिया गया जो कि यूजीसी नियमानुसार कोरम पूरा नहीं हुआ था। इसलिए भी यह साक्षात्कार अवैधानिक प्रतीत होता है। उक्त साक्षात्कार में चौथे सदस्य के रूप में विश्वविद्यालय के ही फारेस्टरी विभाग के एक सह प्राध्यापक अनूसूचित सदस्य के रूप में उपस्थित थे। जिनका कार्य केवल अवलोकन करना था। लेकिन इनके द्वारा साक्षात्कार में आवेदकों से सबसे अधिक विषय से बाहर का कुछ भी सवाल पूछा जा रहा था। जिससे नियुक्त संबंधित को विशेष लाभ दिलाया जाना प्रमाणित प्रतीत होता है।
नियुक्ति पत्र प्रदान किया जाना अवैधानिक नियुक्ति की पुष्टि:
दुर्गेश डिकसेना द्वारा साक्षात्कार पूर्व कुछ प्रश्नों को दूरभाष पर पूछकर चर्चा किया जा रहा था। जिसके बाद वही सवाल अन्य आवेदकों से पूछा जाना भी साक्षात्कार पूर्व दुर्गेश डिकसेना को अवैधानिक रूप से लाभ दिलाना प्रतीत होता है। साक्षात्कार परिणाम को निति नियमानुसार जारी करने के पूर्व ही दुर्गेश डिकसेना को नियुक्ति पत्र प्रदान किया जाना अवैधानिक नियुक्ति की पुष्टि करता है। कुछ आवेदकों से साक्षात्कार पूर्व पैसों के लेनदेन के लिए संपर्क किया जाना भी अवैधानिक नियुक्ति का प्रमाण प्रतित होता है। दुर्गेश डिकसेना का ग्रामीण प्रौद्योगिकी विषय में सहायक प्राध्यापक पद पर नियुक्ति की बात परिणाम पूर्व ही काफी पहले से वायरल हुआ था, जिस कारण भी यह नियुक्ति अवैधानिक होता है।
चयनित अभ्यर्थी अन्य आवेदकों से मेरिट में काफी पीछे:
दुर्गेश डिकसेना अन्य आवेदकों से मेरिट में काफी पीछे थे। मात्र साक्षात्कार अंकों में इनहे बढ़त दिलाकर नियुक्ति किया जाना अवैधानिक है। दुर्गेश डिकसेना के पास एक भी अनुभव के अंक नहीं थे, कोई पुरस्कार के अंक नहीं थे। इनके अतिरिक्त जो भी उम्मीदवार थे अपेक्षाकृत अधिक अनुभवधारी, पुरस्कार, गोल्ड मेडल, पेटेंट, यूजी पीजी के टापर थे। दुर्गेश डिकसेना से एक नहीं बल्कि अनेक उम्मीदवार मेरिट में आगे थे। लेकिन दुर्गेश डिकसेना को साक्षात्कार में अधिक अंकों का अवैधानिक रूप से बढ़त देकर नियुक्ति किया जाना संदेह की पुष्टि करता है।
आदिवासी आवेदकों को नाट फाउंड सूटेबल कर दिया गया:
यह कि उक्त ग्रामीण प्रौद्योगिकी विषय में 2 पद सहायक प्राध्यापक के अनूसूचित जनजाति के लिए भी साक्षात्कार हुआ था। जिसमें 3 पात्र एमफिल पीएचडी उपाधि धारक आवेदक शामिल हुए थे। अनूसूचित जनजाति आवेदकों को नाट फाउंड सुटेबल कर दिया गया। इससे भी प्रतित होता है कि, अनूसूचित जनजाति उम्मीदवारों से पैसों के सेटिंग नहीं होने के कारण नाट फाउंड सुटेबल कर दिया गया। जबकि, बस्तर जैसे आदिवासी अंचल में पात्र आदिवासी अभ्यर्थियों को चयन किया जाना था। लेकिन आदिवासी आवेदकों को साक्षात्कार लेकर पैसा नहीं मिलने के कारण नाट फाउंड सुटेबल कर उक्त पदो को पात्र आदिवासी आवेदक होने के बावजूद रक्त कर दिया गया।
पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग:
दुर्गेश डिकसेना को छोड़कर साक्षात्कार दिए सभी आवेदकगणो दवारा उक्त बिंदुओं पर बिना भेदभाव के निष्पक्ष जाँच की मांग करते हुए, उक्त आपत्तियों के साथ शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय के कुलपति के समक्ष आपत्ति दर्ज की है। साथ ही इसकी एक-एक प्रतिलिपि कुलाधिपति,समस्त कार्य परिषद के सदस्य, बस्तर संभाग के संभागायुक्त, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, मुख्य सचिव एवं उच्च न्यायालय बिलासपुर को प्रेषित किया है।
भर्ती प्रक्रिया विवि अध्यादेश विनियम के अनुसार:
इस पूरे मामले को लेकर विश्वविद्यालय के कुलपति मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि, विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक भर्ती की प्रक्रिया विश्वविद्यालय अध्यादेश विनियम एवं यूजीसी रेगुलेतीं 2018 के प्राविधानों के अंतर्गत नियमानुसार किया गया है। भर्ती की प्रक्रिया विवि कार्य परिषद के सदस्यों के समक्ष रखा गया। मिनिट में इंद्राज किया गया। सभी प्रक्रिया के बाद ही नियुक्ति की गई।